अफ्रीका के घाना में मारबर्ग वायरस का मामला सामने आया है. इसकी पुष्टि सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की है. ऐसा पहली बार है जब पश्चिमी अफ्रीकी देश में ये वायरस पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो ये इसे इबोला जैसा बताया गया है. बता दें, ये वायरस चमगादड़ जैसे जानवरों से फैलता है. कोविड-19 के साथ इस वायरस की खबर ने चिंताएं बढ़ा दी हैं.
क्या हैं मारबर्ग वायरस के सिम्पटम्स?
बता दें, इस मारबर्ग वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड यानि संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक का टाइम पीरियड 2 से 21 दिनों तक होता है. मारबर्ग वायरस के सिम्पटम्स की अगर बात करें तो इसमें:
1. तेज बुखार
2. तेज सिरदर्द
3. मांसपेशियों में दर्द
4. तीसरे दिन दस्त और पेट में दर्द और ऐंठन
5. उल्टी शुरू हो सकती है
6. नॉन-इचि रैशेज भी हो सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लक्षणों में के रूप में कई रोगियों में 5 से 7 दिनों के बीच में शरीर के अलग-अलग हिस्सों से खून आ सकता हैं. जैसे उल्टी में खून, मल में खून, नाक, मसूड़ों और वजाइना से खून आ सकता है. रोग के 15 वें दिन कभी-कभी ऑर्काइटिस की शिकायत भी मिलती है.
साथ ही गंभीर मामलों में मरीज की मृत्यु अक्सर लक्षण शुरू होने के 8 से 9 दिनों के बीच हो जाती है.
क्या कोई वैक्सीन मौजूद है?
गौरलब है कि इस समय में मारबर्ग वायरस की कोई वैक्सीन या फिर कोई एंटीवायरल ट्रीटमेंट मौजूद नहीं है. हालांकि, देखभाल या फिर अलग अलग बीमारी का अगर इलाज किया जाए तो ज्यादा दिन तक जीवित रहा जा सकता है.
बता दें, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) या ऐसी एंटीवायरल दवाइयों पर अभी काम चल रहा है. इसमें रेमडेसिवीर और फेविपिरवीर जिनका उपयोग इबोला वायरस के लिए किया जाता है, पर काम चल रहा है.
ऐसे रखें मारबर्ग वायरस से खुद को सुरक्षित
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे बचने के कई उपाय बताए हैं. जैसे-
1. बैट-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन को कम करना.
2. जो रोगी मारबर्ग वायरस से संक्रमित हैं, उनसे स्वस्थ लोगों को दूर रहना चाहिए. इसके अलावा, घर पर बीमार रोगी की देखभाल करें तो दस्ताने और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट पहनकर ही करें. उसके बाद नियमित रूप से हाथ धोएं.
3. अगर बड़े पैमाने पर वायरस फैला है तो ध्यान रहे कि लोगों को इसके बारे में बताते रहें और जागरूकता फैलाते रहें.
4. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, सेक्शुअल ट्रांसमिशन से बचें.
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