मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट क्या होता है? किन बीमारियों में मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है? डॉक्टर से जानिए

मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट की मदद से अब एक ही ऑपरेशन में दो या उससे अधिक खराब अंगों को बदला जा सकता है, जिससे मरीज को नई जिंदगी मिलने की संभावना बढ़ गई है.

Multi Organ Transplant: Photo: Unsplash
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली ,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST
  • किन बीमारियों में मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है
  • मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट अब ज्यादा सफल क्यों हो गया है?

जब किसी परिवार में कोई मरीज एक नहीं बल्कि कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहा होता है और डॉक्टर यह कहते हैं कि दिल, किडनी या लिवर जैसे एक से ज्यादा अंग जवाब दे चुके हैं, तो आमतौर पर लोगों को उम्मीद टूटती नजर आती है. लेकिन अब मेडिकल साइंस ने ऐसे हालात में भी जीवन की नई राह खोल दी है. मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट की मदद से एक ही सर्जरी में दो या उससे ज्यादा अंगों को बदला जा सकता है.

भारत में रिकॉर्ड संख्या में ऑर्गन ट्रांसप्लांट
भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की संख्या हर साल बढ़ रही है. आंकड़ों के मुताबिक 2024 में रिकॉर्ड लगभग 18,900 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए हैं, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. भारत ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है. सबसे ज्यादा ऑर्गन ट्रांसप्लांट अमेरिका और चीन में होते हैं. इसके बावजूद ऑर्गन डोनेशन की दर देश में बहुत कम है.

हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को पत्र लिखकर ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 'मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी विभाग' की स्थापना का अनुरोध किया था.

मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट क्या है, किन मरीजों के इसकी जरूरत पड़ती है और ये सर्जरी कितनी आम है, इस बारे में हमने मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के चेयरमैन (यूरोलॉजी, रीनल ट्रांसप्लांट और रोबोटिक्स) डॉ. अनंत कुमार से बातचीत की. चलिए पढ़ते हैं बातचीत के कुछ अंश.

मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट क्या होता है?
जवाब: जब किसी मरीज के एक नहीं बल्कि दो या उससे ज्यादा अंग एक साथ खराब हो जाते हैं और उन्हें बदलना जरूरी हो जाता है, तो इसे मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहा जाता है. यह ऑर्गन ट्रांसप्लांट की दुनिया में अचीवमेंट है, क्योंकि पहले ऐसे मरीजों को बचा पाना बहुत मुश्किल होता था.

किन मरीजों को मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है?
जवाब: ऐसे मरीज जिनमें एक साथ कई बीमारियां होती हैं. मान लीजिए अगर किसी मरीज का दिल और फेफड़े दोनों खराब हो गए हों, तो हार्ट और लंग्स का ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसी तरह कई मरीजों में लिवर फेल होने के कारण किडनी भी खराब हो जाती है. डॉ. अनंत कुमार कहते हैं, लिवर और किडनी भाई-बहन की तरह होते हैं, एक खराब होता है तो दूसरा भी प्रभावित हो जाता है. ऐसे मामलों में लिवर और किडनी का एक साथ ट्रांसप्लांट किया जाता है.

पेट के कई अंग खराब होने पर क्या किया जाता है?
जवाब: कुछ मरीजों में पेट के कई अंग जैसे लिवर, आंतें, पैंक्रियाज और किडनी एक साथ खराब हो जाते हैं. कई बार ऐसे मरीज डायबिटीज से भी पीड़ित होते हैं. ऐसे मामलों में मल्टीपल विसरल ग्राफ्ट ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसमें पेट के बड़े ब्लड वेसल्स के साथ सभी खराब अंगों को एक ब्लॉक में निकालकर नए अंग लगाए जाते हैं.

डायबिटीज और किडनी फेल होने पर कौन सा ट्रांसप्लांट किया जाता है?
जवाब: डायबिटीज के कई मरीजों में समय के साथ किडनी फेल हो जाती है. ऐसे मरीजों में किडनी और पैंक्रियाज का एक साथ ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसका फायदा यह होता है कि ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को इंसुलिन की जरूरत नहीं पड़ती और वह सामान्य जीवन जी सकता है.

मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट अब ज्यादा सफल क्यों हो गया है?
जवाब: ऑर्गन ट्रांसप्लांट साइंस में लगातार तरक्की हुई है. सर्जरी की तकनीक बेहतर हुई है और ICU सपोर्ट, ब्लड प्रोडक्ट्स की उपलब्धता, कोएगुलेशन फैक्टर की पूर्ति और शरीर में सूजन से जुड़े पैरामीटर की निगरानी जैसी सुविधाएं मजबूत हुई हैं. इन्हीं कारणों से अब किडनी के साथ दूसरे अंगों का ट्रांसप्लांट भी संभव हो पाया है. हार्ट और लंग ट्रांसप्लांट एक साथ करना अब आम हो गया है और लिवर-किडनी का ट्रांसप्लांट भी कई अस्पतालों में नियमित रूप से किया जा रहा है.

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