दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रेसबायोपिया (दूर की चीजें साफ दिखें और पास की धुंधली) से जूझ रहे हैं. अब तक इसके लिए चश्मा या सर्जरी ही ऑप्शन था लेकिन अब डॉक्टरों ने ऐसा आसान और असरदार तरीका खोज निकाला है, जिससे न चश्मे की जरूरत पड़ेगी और न ऑपरेशन की.
डॉक्टरों ने एक खास आई ड्रॉप्स तैयार की है, जो दूर की नजर (लॉन्गसाइटेडनेस) से जूझ रहे लोगों को राहत दे सकती है. बस दिन में दो बार इन ड्रॉप्स का इस्तेमाल करना होगा और मरीज आसानी से पास की चीजें पढ़ और देख पाएंगे.
करोड़ों लोग इस समस्या से जूझ रहे
दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रेसबायोपिया से परेशान हैं. यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ आती है, जब आंखें पास की चीजों या छोटे अक्षरों पर फोकस नहीं कर पातीं. ज्यादातर लोग चश्मा पहनकर या सर्जरी कराकर राहत पाते हैं, लेकिन हर किसी के लिए यह आसान नहीं होता.
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कैटरेक्ट एंड रिफ्रेक्टिव सर्जन्स (ESCRS) कॉन्फ्रेंस में इस ड्रॉप्स पर हुई स्टडी पेश की गई. इसमें बताया गया कि ड्रॉप्स इस्तेमाल करने के बाद ज्यादातर मरीज आई चार्ट पर ज्यादा लाइनें पढ़ने लगे और यह सुधार दो साल तक कायम रहा.
इस आई ड्रॉप्स में क्या है खास
पाइलोकार्पिन: यह दवा पुतलियों को सिकोड़ती है और लेंस की मांसपेशियों को सक्रिय करती है ताकि आंख अलग-अलग दूरी पर साफ देख सके.
डाइक्लोफेनाक: यह एक NSAID दवा है जो सूजन कम करती है.
766 मरीजों पर किया गया ट्रायल
यह स्टडी अर्जेंटीना के 766 मरीजों पर की गई. सभी को दिन में दो बार, सुबह उठने के बाद और छह घंटे बाद ड्रॉप्स दी गईं. इनमें से 148 मरीजों ने चार्ट पर दो या ज्यादा लाइनें पढ़ीं. 69% मरीजों ने तीन या ज्यादा लाइनें पढ़ीं. 84% मरीजों ने तीन या ज्यादा लाइनें पढ़ीं.
सिर्फ एक घंटे में मरीजों की नजर में औसतन 3.45 जेगर लाइन का सुधार हुआ. सबसे खास बात यह रही कि 1% ड्रॉप्स वाले 99% मरीजों ने बेहतरीन पास की दृष्टि हासिल की और वे चार्ट की दो या ज्यादा लाइनें पढ़ने लगे. हालांकि कुछ मरीजों को हल्के साइड इफेक्ट भी हुए. जैसे कुछ देर के लिए धुंधला दिखना, ड्रॉप डालते समय हल्की जलन, और सिरदर्द.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज बेहद अहम है और मरीजों को सुरक्षित व आसान विकल्प दे सकती है. हालांकि, लंबे समय और बड़े स्तर पर ट्रायल्स की जरूरत है ताकि यह साबित हो सके कि ड्रॉप्स पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी हैं.