यूपी के प्रयागराज स्वरूप रानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धि दर्ज किया है. यहां 20 वर्षीय युवक के पैर की हड्डी (टीबिया बोन) से लगभग 15 सेंटीमीटर लंबा और 2 किलो वजनी ट्यूमर सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर निकाला गया. आपको बता दे ये ट्यूमर ऑस्टियोकांड्रोमा (Osteochondroma) नामक बीमारी के कारण विकसित हुआ था. डॉक्टरों के अनुसार, यह अब तक टीबिया बोन का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है.
साल 2011 से परेशान थे सुनील-
मरीज सुनील कुमार प्रयागराज के कोरांव के रहने वाले हैं. सुनील साल 2011 से दाहिने पैर में गांठ से परेशान थे. यह गांठ धीरे-धीरे बढ़ती गई और इतना बड़ा आकार ले लिया कि वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गए. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे वर्षों तक इलाज नहीं करा सके. हाल ही में वे एसआरएन अस्पताल पहुंचे, जहां एमआरआई, सीटी स्कैन और बायोप्सी के बाद पता चला कि यह बिनाइन ट्यूमर नसों पर दबाव डाल रहा है. डॉक्टरों ने तत्काल सर्जरी का निर्णय लिया.
ट्यूमर का इलाज-
जानकारी के अनुसार, इससे पहले वर्ष 2023 में कर्नाटक में टीबिया बोन का 13 सेंटीमीटर लंबा ऑस्टियोकांड्रोमा केस दर्ज हुआ था. प्रयागराज का ये मामला उससे भी बड़ा है और चिकित्सा जगत में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में दर्ज होगा. इस सर्जरी का नेतृत्व वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. मनीष शुक्ला ने किया. करीब दो घंटे तक चले इस ऑपरेशन में डॉक्टरों की टीम ने अत्यंत सावधानी से हड्डी से ट्यूमर को अलग किया. ट्यूमर नसों और मांसपेशियों के बेहद करीब था, जिससे नसों को क्षति पहुंचने का गंभीर खतरा था. इसके बावजूद पूरी टीम ने सफलता हासिल की.
पूरी तरह से स्वस्थ हैं सुनील कुमार-
डॉ. मनीष शुक्ला ने बताया कि यह ऑपरेशन बेहद जटिल था, क्योंकि ट्यूमर नसों और मांसपेशियों के करीब था और नसों के पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने का खतरा था. फिर भी ऑपरेशन सफल रहा और मरीज की हालत स्थिर है. डॉक्टरों के अनुसार, सुनील कुछ ही दिनों में अपने पैरों पर चलने में सक्षम होंगे.
प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) वी.के. पांडेय ने इस सफलता पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि एसआरएन अस्पताल के डॉक्टर कठिन से कठिन सर्जरी में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं. यह उपलब्धि न केवल अस्पताल बल्कि पूरे प्रयागराज के लिए गर्व की बात है. उन्होंने ऑपरेशन करने वाली टीम को बधाई दी और कहा कि इस तरह की सफलताएं मरीजों का विश्वास और मजबूत करती हैं.
(आनंद राज की रिपोर्ट)
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