डिमेंशिया वरिष्ठ लोगों में पाई जाने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान अपनी दिमागी सलाहियत काफी हद तक खो देता है. डिमेंशिया कई तरह का होता है, लेकिन इसके लक्षणों के बारे में इंसान बहुत ज्यादा जानकारी इकट्ठा नहीं कर पाए हैं. यह कहना भी सही नहीं होगा कि यह बीमारी अचानक ही प्रकट हो जाती हो. भारतीय मूल के एक डॉक्टर ने दुनिया घूमने के बाद डिमेंशिया का एक अहम लक्षण और उससे बचने के दो राज़ बताए हैं.
न्यू यॉर्क यूनवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. जयदीप भट्ट ने न्यू यॉर्क पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में अपनी अफ्रीका (युगांडा और घाना) में की गई स्वास्थ्य सेवा यात्रा के अनुभवों के आधार पर दो सरल उपाय बताए हैं, जिन्हें अपनाकर ब्रेन हेल्थ की रक्षा की जा सकती है. आइए समझते हैं डिमेंशिया के जोखिम को, इंसाइड-आउट.
कैसे बढ़ता है डिमेंशिया का जोखिम?
डिमेंशिया यानी मनोभ्रंश का एक जोखिम कारक जिस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, वह है सुनने की क्षमता की हानि का पता न चलना. उम्र बढ़ने के साथ इंसानों की सुनने की क्षमता कम होती जाती है. समस्या यह है कि अच्छी सुनने की क्षमता, मुख्य रूप से दिमाग के बाएं गोलार्ध में मौजूद भाषा केंद्रों को भाषा निर्माण के लिए उचित जानकारी प्रदान करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. अगर इस परेशानी का समय पर पता नहीं लगाया जाता है, तो इस भाषा क्षेत्र में जानकारी का अनुचित प्रवाह हो सकता है. इससे याद्दाश्त जाने और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है.
युगांडा से क्या सीखकर आए डॉ भट्ट?
डॉ भट्ट ने युगांडा में अपने सफर से दो बेहद अहम बातें सीखीं. यही डिमेंशिया से बचने के उनके राज़ हैं. अव्वल, सही भोजन खाना और दूसरा, निरंतर व्यायाम करना. दरअसल डॉ भट्ट ने पाया है कि शारीरिक सेहत इंसान के दिमाग को काफी हद तक प्रभावित करती है. उन्होंने अफ्रीकी देशों में लोगों की जीवनशैली में एक खास बात देखी. वहां लोग कम खाना खाते थे और लंच-डिनर के बीच स्नैक्स भी नहीं लेते थे.
इस तरीके से खाने से कैलोरी कम होती है, ब्लड प्रेशर काबू में रहता है और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. साथ ही, डॉ भट्ट सलाह देते हैं कि नियमित शारीरिक गतिविधि करते रहना चाहिए, चाहे वह किसी भी रूप में हो. हर रोज़ वर्कआउट करने से हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और अन्य पारंपरिक जोखिम कम होते हैं. इसी तरह से दिमाग से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम होता है.
क्यों मायने रखती हैं डॉ भट्ट की बातें?
डॉ. भट्ट की सलाह हमें यह सिखाती है कि डिमेंशिया जैसी जटिल समस्या से बचने के लिए व्यापक जीवनशैली वृद्धि की ज़रूरत है, लेकिन शुरुआत दो सरल कदमों से की जा सकती है:
1. हर साल सुनने की जांच करवाएं. यह एक आसान और प्रभावशाली शुरुआती कदम है.
2. आहार और व्यायाम पर ध्यान दें. छोटे भोजन, पोषणयुक्त डाइट और रोज़ाना कोई शारीरिक गतिविधि, ये सब मिलकर मस्तिष्क की रक्षा करते हैं.