नई रिसर्च में दावा! वजन घटाने वाले इंजेक्शन कैंसर से भी बचा सकते हैं

रिसर्चर्स ने मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज से जूझ रहे हजारों मरीजों के इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया. इनमें से किसी को पहले कभी कैंसर नहीं हुआ था.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 13 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:29 PM IST
  • सिर्फ वजन ही नहीं, कैंसर का खतरा भी घटाएं!
  • GLP-1 इंजेक्शन से होगा डबल फायदा

नई रिसर्च में दावा किया गया है कि वजन घटाने के लिए दिया जाने वाला इंजेक्शन (GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट्स) कैंसर से भी बचाव में मदद कर सकते हैं. दावा किया गया है कि इन इंजेक्शनों का असर बायपास सर्जरी (बेरियाट्रिक सर्जरी) के बराबर या उससे भी ज्यादा है. यह रिसर्च इजराइल की क्लालिट हेल्थ सर्विसेज और हशरॉन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मिलकर की है. स्टडी में पाया गया कि जिन मरीजों को ये वजन घटाने वाले इंजेक्शन दिए गए, उनमें मोटापे से जुड़े कैंसर का खतरा 41% तक कम हो गया. 

कैसे की गई ये स्टडी
रिसर्चर्स ने मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज से जूझ रहे हजारों मरीजों के इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया. इनमें से किसी को पहले कभी कैंसर नहीं हुआ था. इन मरीजों को या तो पहली पीढ़ी के GLP-1 इंजेक्शन दिए गए थे या फिर बेरियाट्रिक सर्जरी करवाई गई थी. 7 साल तक इन मरीजों पर नजर रखी गई.

स्टडी में सामने आया कि 3,178 सर्जरी करवाने वालों में से 150 को कैंसर हुआ जबकि उतनी ही संख्या में इंजेक्शन लेने वालों में से 148 मरीजों को कैंसर हुआ. यानी कैंसर के मामलों की संख्या लगभग बराबर रही, जबकि सर्जरी में वजन ज्यादा कम होता है. इसका मतलब साफ है कि इंजेक्शन का फायदा सिर्फ वजन कम करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे कैंसर से भी लड़ता है. सबसे ज्यादा मामले स्तन कैंसर, आंत और गर्भाशय के कैंसर के देखे गए. ये सभी मोटापे से जुड़े कैंसर माने जाते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
इस स्टडी की को-लीड डॉक्टर याएल वोल्फ सगी का कहना है कि "हम अभी पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं कि GLP-1 कैसे काम करता है, लेकिन यह साफ है कि वजन कम करने के अलावा भी इसके फायदे हैं."

क्लिनिकल ट्रायल तक नहीं पहुंची स्टडी
वहीं, प्रोफेसर डॉ. ड्रोर डिकर ने कहा कि इन दवाओं का असर शरीर में सूजन को कम करने से भी हो सकता है, जो कैंसर का एक कारण होता है. उन्होंने यह भी कहा कि नई पीढ़ी की दवाएं जो और भी असरदार हैं, उनसे कैंसर का खतरा और भी कम किया जा सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि यह स्टडी observational है, न कि क्लिनिकल ट्रायल. इसलिए इसे निष्कर्ष नहीं मानना चाहिए. यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के प्रोफेसर नवीद सत्तार का कहना है कि "इस स्टडी से यह तय नहीं किया जा सकता कि इन दवाओं का कैंसर पर असर क्या है."

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