कमीशन के लालच में लोगों से खुलवाते थे बैंक अकाउंट!डॉक्यूमेंट लेकर करते थे फर्जीवाड़ा, पकड़ में आया 200 करोड़ का साइबर फ्रॉड

सूरत की उधना थाना पुलिस ने एक साधारण वाहन चेकिंग अभियान के दौरान ऐसा खुलासा किया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. सड़क पर चेकिंग के दौरान पुलिस ने एक मोपेड सवार युवक को रोका और उससे वाहन से जुड़े दस्तावेज मांगे.

सांकेतिक तस्वीर
gnttv.com
  • सूरत,
  • 29 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST
  • तीन आरोपी और क्यूबा कनेक्शन
  • बैंक खातों के जरिए की गई ठगी

सूरत की उधना थाना पुलिस ने एक साधारण वाहन चेकिंग अभियान के दौरान ऐसा खुलासा किया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. सड़क पर चेकिंग के दौरान पुलिस ने एक मोपेड सवार युवक को रोका और उससे वाहन से जुड़े दस्तावेज मांगे. जब पुलिस ने मोपेड की डिग्गी की तलाशी ली तो उसमें कुछ संदिग्ध दस्तावेज और सिक्के मिले. पूछताछ करने पर युवक ने बताया कि ये दस्तावेज और सिक्के उसे किसी और को देने के लिए दिए गए थे. इस छोटी सी तलाशी के बाद जो जांच शुरू हुई, उसने 200 करोड़ के अंतर्राष्ट्रीय साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश कर दिया.

तीन आरोपी और क्यूबा कनेक्शन
इस मामले में पुलिस ने रोहन नामक युवक को हिरासत में लिया, जिससे पूछताछ में मीत खोखर और कीरत जाधवानी के नाम सामने आए. इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इन तीनों पर आरोप है कि ये लोग विदेशी साइबर अपराधियों के साथ मिलकर लोगों के दस्तावेज लेकर फर्जी बैंक खाते खुलवाते थे और इन खातों का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड में करते थे. इस फ्रॉड का सीधा संबंध क्यूबा में बैठे साइबर माफिया से जुड़ा हुआ है. ये लोग “रिच पे” नामक टेलीग्राम चैनल के जरिए क्यूबा से निर्देश प्राप्त करते थे.

बैंक खातों के जरिए की गई ठगी
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी लोगों को कमीशन का लालच देकर उनके नाम पर बैंक में करंट अकाउंट खुलवाते थे. अब तक इन्होंने 100 से ज्यादा करंट अकाउंट खुलवाए हैं, जिनमें से 35 खातों से साइबर फ्रॉड की शिकायतें देश के अलग-अलग राज्यों में दर्ज हो चुकी हैं. एक अकाउंट से तो तीन दिन में ही 42 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ था. इन खातों में कुल 200 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है और आरोपियों को इस ट्रांजैक्शन का करीब 2% कमीशन मिलता था, जो उन्हें क्रिप्टोकरेंसी USDT में मिलता था.

छापेमारी में बरामद हुआ सबूतों का ढेर
पुलिस ने मीत के ऑफिस पर छापा मारा तो वहां से 5 लैपटॉप, 7 मोबाइल फोन, 3.5 लाख रुपये नकद, 35 बैंक पासबुक, कई एटीएम व क्रेडिट कार्ड और रुपये गिनने की मशीन बरामद हुई. पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि वे दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियां बनाते थे, उनके लिए जीएसटी नंबर लेते थे और फिर बैंकों में करंट अकाउंट खोलते थे.

फरार आरोपी और आगे की जांच
इस पूरे रैकेट का एक मुख्य आरोपी दिव्येश अब भी फरार है, जिसकी तलाश जारी है. पुलिस ने इस केस में अभी तक 1.40 करोड़ रुपये के बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं. अब इस केस की जांच में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) भी शामिल हो चुके हैं.

-विमल भाटिया

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