South India से हैं राज्यसभा के 4 नए नामित सदस्य, जानिए क्या है इसका सियासी मतलब

South India Politics: पीटी ऊषा केरल, इलैया राजा तमिलनाडु, केवी विजेंद्र प्रसाद आंध्र प्रदेश और वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक के कन्नड़ जिले से आते हैं. इनकी नियुक्ति के जरिए बीजेपी दक्षिण भारत के राज्यों में अपनी पैठ बनाने की सोच रही है.

राज्यसभा के 4 नए सदस्यों को मनोनयन के क्या मायने हैं
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST
  • राज्यसभा के चारों नए नामित सदस्य दक्षिण भारत से हैं
  • दक्षिण भारत में पार्टी प्रसार में जुटी बीजेपी

मोदी सरकार ने चार सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनित किया है. जिसमें पीटी ऊषा, इलैया राजा, वीरेंद्र हेगड़े और केवी विजयेंद्र प्रसाद शामिल हैं. शामित सदस्यों में एक महिला, एक दलित और एक धार्मिक अल्पसंख्यक समूह से हैं. चारों नए नामित सदस्य दक्षिण भारत से आते हैं और अपने-अपने क्षेत्रों के जाना पहचाना नाम हैं.

दक्षिण भारत से चारों नए सदस्य-
पीटी ऊषा केरल से आती हैं. वो खेल से जुड़ी हैं और देश में उनकी अपनी पहचान हैं. इलैया राजा तमिलनाडु के रहने वाले हैं और संगीत की दुनिया में खूब नाम कमाया है. केवी विजेंद्र प्रसाद आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं . उनको कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. जबकि 73 साल के वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक के कन्नड़ जिले के श्री धर्मस्थल मंजुनाथ स्वामी मंदिर के अनुवांशिक ट्रस्टी हैं. वीरेंद्र हेगड़े दान और सामाजिक कामों के लिए जाने जाते हैं. चारों नए नामित सदस्य दक्षिण भारत से आते हैं और समाज में उनकी अपनी पहचान है. ऐसे में इनकी नियुक्ति का दक्षिण भारत के लिए बीजेपी का बड़ा सियासी संदेश है.

आंध्र प्रदेश और केरल में संघर्ष-
आंध्र प्रदेश में 25 और केरल में 20 लोकसभा की सीटें हैं. 2014 आम चुनाव में बीजेपी को आंध्र प्रदेश में सिर्फ 8.50 फीसदी और केरल में 10.30 फीसदी वोट मिले थे. जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को आंध्र प्रदेश में सिर्फ 0.96 फीसदी और केरल में 15.06 फीसदी मत हासिल हुए. ऐसे में बीजेपी को इन राज्यों में बड़े संघर्ष की जरूरत है. जहां तक सीट जीतने का सवाल है तो केरल में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला है. ऐसे में इन दोनों राज्यों से दो दिग्गज हस्तियों को राज्यसभा में नामित करने का सियासी फायदा उठाने की कोशिश की जा सकती है.

तमिलनाडु में बेस की तलाश-
बीजेपी की सबसे खराब हालत तमिलनाडु में है. 2014 आम चुनाव में बीजेपी को तमिलनाडु में सिर्फ 5.56 फीसदी वोट मिले थे. जबकि 2019 आम चुनाव में 3.66 फीसदी वोट मिला था. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ 5 सीटों पर उम्मीदवार उतार पाई थी. बीजेपी ने अन्नाद्रमुक और दूसरे छोटे दलों से समझौता किया था. लेकिन इसका फायदा नहीं मिला. तमिलनाडु में बीजेपी पार्टी का बेस बनाने की कोशिश कर रही है.

नए सदस्यों के मनोनयन के मायने-
मोदी सरकार ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक से खेल, फिल्म, संगीत और समाजसेवा से जुड़े लोगों को राज्यसभा सदस्य मनोनित किया है. इसके साथ ही बीजेपी ने इन दक्षिण के राज्यों को राजनीतिक संदेश भी दिया है. बीजेपी केरल और आंध्र प्रदेश में पार्टी के लिए जगह तलाश रही है. इन चेहरों की मदद से बीजेपी संगठन को नई दिशा दे सकती है और जनता को भरोसा दिला सकती है कि बीजेपी आपके साथ है और आपके लोगों को महत्व दे रही है.
बीजेपी लगातार दक्षिण भारत में कमल खिलाने के लए संघर्ष कर रही है. लेकिन अब तक उनको कोई खास सफलता नहीं मिली है. दक्षिण भारत के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी सिर्फ खानापूर्ति के लिए चुनाव लड़ती आ रही है. ऐसे में राज्यसभा के 4 नए सदस्यों के मनोनयन से बीजेपी को एक उम्मीद की किरण दिखी है. लेकिन दक्षिण भारत में पार्टी के प्रसार के लिए अभी बीजेपी को बड़ी मेहनत की जरूरत है.

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