पश्चिम बंगाल में कट सकते हैं लाखों मृत वोटरों के नाम... 'आधार' नंबरों के ग्राउंड पर लिया निर्णय

पश्चिम बंगाल में यूआईडीएआई के आंकड़ों से पता चला है कि 2009 से लगभग 34 लाख आधार कार्डधारकों को मृतक के रूप में चिह्नित किया गया है. बैंक डेटा के साथ-साथ इस पहल का उद्देश्य घुसपैठ कर अवैध रूप से भारत में रह रहे फर्जी वोटर व मृतक मतदाताओं की पहचान कर उन्हें हटाना है.

संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:04 PM IST

पश्चिम बंगाल में कम से कम 34 लाख वोटर इस आधार पर मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे क्योंकि उन आधार कार्ड धारकों की पहचान 'मृतक' के रूप में हो चुकी है. यूआईडीएआई यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने निर्वाचन आयोग को इस बाबत सूचित कर दिया है. देश भर में 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चार नवंबर से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण चल रहा है. 

इसी सिलसिले में पश्चिम बंगाल में यूआईडीएआई के आंकड़ों से पता चला है कि 2009 से लगभग 34 लाख आधार कार्डधारकों को मृतक के रूप में चिह्नित किया गया है. बैंक डेटा के साथ-साथ इस पहल का उद्देश्य घुसपैठ कर अवैध रूप से भारत में रह रहे फर्जी वोटर, मृतक, स्थाई रूप से प्रवास कर गए और डुप्लिकेट मतदाताओं की पहचान कर उन्हें हटाना है. मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर सत्यापन कर रहे हैं.

लाखों के पास नहीं आधार कार्ड
यूआईडीएआई के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने निर्वाचन आयोग को यह भी सूचित किया कि राज्य में लगभग 13 लाख लोगों के पास कभी भी आधार कार्ड नहीं था. लेकिन स्थानीय निकायों से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक उनकी मृत्यु हो चुकी है. मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की चल रही गणना प्रक्रिया के बीच यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल के बीच एक बैठक के दौरान यह जानकारी साझा की गई.

शिकायतों के बाद कड़े कदम
सूत्रों के मुताबिक निर्वाचन आयोग को फर्जी मतदाताओं, मृत मतदाताओं, अनुपस्थित मतदाताओं और नामावली में डुप्लीकेट नामों के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं. मृत नागरिकों पर यूआईडीएआई के आंकड़ों से मतदाता सूची से ऐसी प्रविष्टियों का पता लगाने और हटाने में निश्चित तौर पर मदद मिलने की उम्मीद है.

चार दिसंबर को गणना चरण और 9 दिसंबर मसौदा सूची के प्रकाशन के बाद, यदि आवेदकों को आधार डेटाबेस से हटाए गए नामों के साथ फॉर्म जमा करते हुए पाया जाता है, तो उन्हें सत्यापन के लिए संबंधित निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा बुलाया जा सकता है. वहां उनको अपनी योग्यता सिद्ध करनी होगी.

 

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