दीपोत्सव से पहले देशभर में इन दिनों पूरे जोश और उत्साह के साथ दीपोत्सव की तैयारी चल रही है. कहीं हाट बाजार सजे हुए हैं तो कहीं बड़े शॉपिंग कंपलेक्स में भीड़ जुट रही है. शहरों के आम बाजारों में भी हलचल बढ़ने लगी है, ऐसे में मिट्टी के नन्हें-नन्हें दिए बनाने वाली कारीगर कुम्हारों की उम्मीदें भी बढ़ गई है.
इस बार दीपावली के त्योहार को लेकर कुम्हार बस्ती में अच्छी बिक्री के उम्मीद के साथ पूरा कुनबा बिना एक पल गंवाएं चाक को रफ्तार देने में जुटा है. इस बार की दीपावली से पहले बनाए जाने वाले दिए लोगों के घर दिए की रोशनी से रोशन करेगा. तो अच्छी बिक्री होने पर इन कुम्हार के परिवार में भी दीपावली अच्छी बीतने की उम्मीद है.
पूरा गांव लगा दीए बनाने
यूपी प्रयागराज के नैनी इलाके में कुम्हारों के लोकपुरी गांव की तस्वीर भी इस साल बदली सी नजर आती है. गांव में हर कोई बिना एक पल खोए दीपोत्सव के लिए दिए बनाने में जुटा है. क्या बड़े, क्या बुजुर्ग क्या महिलाएं, क्या बच्चे हर कोई मिट्टी से दीए बनाने में लगा हुआ है.
कुम्हारों के इस गांव में पारंपरिक चाक के अलावा इलेक्ट्रिक चाक का प्रयोग हो रहा है. गांव के लोगो का कहना है की उन्हें यकीन है इस बार की दिवाली से उनका घर भी रोशन होगा और त्योहार की खुशियां मना पाएंगे. इन कारीगरों में तमाम महिलाएं लड़कियां भी उसी कुशलता से काम करती नजर आ जाती हैं.
एक दीए के पीछे की मेहनत
मिट्टी के दीए बनाने में काफी मेहनत लगती है. मिट्टी को पीटने से पीटना. फिर उसे चलने से चलना. उसके बाद अपने हाथों से उस मिट्टी को दिया बनाने के लिए आटे की तरह बनना. उसके बाद चाक पर रखकर घूमना फिर हाथों से एक दीए का आकार देना. हाथों से बने मिट्टी के दिए हल्की आग की ताप पर सूखाना. इन सब के बाद एक दीया तैयार होता है तब जाकर दीपावली में लोगों के घर में यह दिए अपनी रोशनी बिखेरते है. एक मिट्टी के दीए के पीछे कुम्हार के पूरे परिवार की मेहनत होती है.
कुम्हारों की जुड़ी उम्मीद
साल 2025 में विशेष दीपावली का संयोग बन रहा है. इसलिए पूरी कुम्हार बस्ती में रहने वाला हर एक परिवार दीए बनाने में जुटा हुआ है. इस उम्मीद के साथ कि उनके दिए के खरीदार खूब आएंगे और बिक्री अच्छी होगी. और इन्हीं की बिक्री की वजह से उनके परिवार के बच्चों की दीपावली का त्यौहार भी अच्छा बीतेगा. इसी उम्मीद के साथ हर परिवार चाक को बेहतर तरीके से घूम रहा है. उस चाक पर मिट्ठी से दिए को आकार दे रहे हैं.
-आनंद राज की रिपोर्ट