Inspiring Story: बुलंद हौसले! दिव्यांगता को मात दे आज अपने पैरों पर खड़े हैं अनिकेत, गांव-गांव घूमकर करते हैं व्यापार 

अनिकेत ने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनाया. अपने बुलंद हौसले से शारीरिक दिव्यांगता को मात दे लड़खड़ाते कई गांव घूम चूड़ी कंगन बेच आमदानी अर्जित कर मजबूती के साथ अपने पैर पर खड़े हैं.

बुलंद हौसलों की कहानी
gnttv.com
  • बालोद,
  • 23 मई 2023,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST
  • हर माह लगभग 25 गांव का करते हैं सफर
  • शारीरिक दिव्यांगता को दी मात 

कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों तो कुछ भी पाया जा सकता है. आप हम आपको ऐसे ही बुलंद हौसलों वाले शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने दिव्यांगता को मात दे दी. इनके बारे में जानकर बेरोजगारी का रोना रोने वाले शारीरिक रूप से सक्षम और दिव्यांगता को अपनी कमजोरी मानने वाले दिव्यांग सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. हम बात कर रहें छत्तीसगढ़ बालोद जिला के अर्जुन्दा नगर से लगा ग्राम टिकरी निवासी 24 वर्षीय अनिकेत देवांगन की. 

शारीरिक दिव्यांगता को दी मात 

दरअसल, अनिकेत मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार 90% दिव्यांग हैं, दोनों पैर टेढ़े होने के चलते बड़ी मुश्किल से 10 साल की उम्र में चलना सीखा. उनके दोनों हाथ भी टेढ़े हैं जिसकी वजह से किसी चीज को वह ठीक से पकड़ नहीं पाते हैं. ऐसा करे पर उनका पूरा शरीर के साथ हाथ कांपता है. यही नहीं जुबान भी इतनी लड़खड़ाती है कि कोई भी शब्द वे ठीक से पूरा बोल नहीं पाते हैं. 

इन सबके बावजूद अनिकेत दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनाया. अपने बुलंद हौसले से शारीरिक दिव्यांगता को मात दे लड़खड़ाते कई गांव घूम चूड़ी कंगन बेच आमदानी अर्जित कर मजबूती के साथ अपने पैर पर खड़े हैं.  इतना ही नहीं बल्कि हर जरूरत को पूरा करने के साथ परिवार चलाने में माता-पिता का हाथ बटा रहे हैं. 

हर माह लगभग 25 गांव का करते हैं सफर

अनिकेत लड़खड़ाते जुबान से बतलाते हैं कि वे लगभग 7 सालों से गांव गांव घूमकर व्यापार करते आ रहे हैं. जिसमें सबसे पहले ब्रश, जीबी, साबुन, कंघी, शैम्पू बेचा करते थे लेकिन पिछले 4 साल से चूड़ी-कंगन बेच रहे हैं. अनिकेत हर माह अपने गांव टिकरी से लगभग 15 किलोमीटर के आसपास 25 गांवों मे अलग-अलग दिन पैदल, कभी लिफ्ट तो कभी बस से सफर कर चूड़ी- कंगन बेचने जाते हैं.

(किशोर साहू की रिपोर्ट)


 

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