Beating Retreat Ceremony: विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी, जानिए क्यों और क्या होता है ये कार्यक्रम

बीटिंग रिट्रीट समारोह हर बार 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस समारोह के बाद 29 जनवरी को आयोजित किया जाता है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समारोह की अध्यक्षता करेंगी, जो विजय चौक पर आयोजित किया जाएगा. समारोह शाम से थोड़ा पहले शुरू होता है, और जैसे ही सूरज ढलना शुरू होता है, यह झंडे को नीचे करने के साथ समाप्त होता है.

बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:54 PM IST
  • दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा है.
  • 'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है

कल दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाएगा. बता दें कि इस बार का बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम बेहद ही खास होने वाला है. दरअसल इस बार भारत में अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन डिस्प्ले भी होगा. ड्रोन शो में 3,500 स्वदेशी ड्रोन दिखाई देंगे जो रायसीना हिल के ऊपर के आसमान को रोशन करेंगे. बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी दरअसल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का सूचक है. इससे पता चलता है कि गणतंत्र दिवस समाप्त हो चुका है. इस कार्यक्रम में थल सेना, वायुसेना और नौसेना का बैंड ट्रेडिशनल बीट के साथ मार्च करते हैं. हर साल गणतंत्र दिवस के बाद 29 जनवरी की शाम को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है.

रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने हर साल इसका प्रदर्शन किया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट के साथ ही होता है. 26 जनवरी की परेड की तरह से सेरेमनी भी देखने लायक होती है. इसके लिए राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक बेहद सुंदर रोशनी से सजाया जाता है.

क्यों और क्या होती है बीटिंग रिट्रीट?
'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है. दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा है. लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थी, तब एक म्यूजिकल सेलिब्रेशन होता था, इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है. भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था. समारोह में राष्ट्रपति बतौर चीफ गेस्ट शामिल होते हैं.

विजय चौक पर राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है. इसी दौरान राष्ट्रगान होता है और तिरंगा फहराया जाता है. थल सेना, वायुसेना और नौसेना, तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं.

इस दौरान बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं। इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन "सारे जहाँ से अच्छा" बजाते हैं.

 

Read more!

RECOMMENDED