प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज यानी 17 सितंबर को 75वां जन्मदिन है. नरेंद्र मोदी का जन्म गुजरात के वडनगर में एक साधारण फैमिली में हुआ. पीएम मोदी के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं. ऐसा ही एक किस्सा उनके मुख्यमंत्री बनने का है. नरेंद्र मोदी जब पहली बार विधायक बने थे, तब 10 महीने बाद उनकी विधायकी खत्म हो गई थी. लेकिन मोदी जिस सीट से विधायक बनना चाहते थे, उस सीट से उनको विधायक बनने का मौका नहीं मिला था.
इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे नरेंद्र मोदी-
नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार विधायक बने थे. नरेंद्र मोदी 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मुख्यमंत्री बनने के बाद उनको 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना था. बताया जाता है कि पीएम मोदी अहमदाबाद की एलिस ब्रिज सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन उनकी ये इच्छा पूरी नहीं हो पाई.
दरअसल एलिस ब्रिज सीट से हरेन पंड्या विधायक थे, जो केशुभाई पटेल की सरकार में गृह राज्य मंत्री थे. नरेंद्र मोदी की तरफ से पंड्या को सीट खाली करने के इशारे भी किए गए. लेकिन हरेन पंड्या ने सीट छोड़ने से इनकार कर दिया. पंड्या ने सार्वजनिक तौर पर सीट छोड़ने से मना कर दिया था.
पहली बार 10 महीने के लिए बने थे विधायक-
इसके बाद नरेंद्र मोदी के लिए राजकोट-2 की सीट चुनी गई. विधायक वजुभाई वाला ने सीट छोड़ दी. इसके बाद इस सीट पर चुनाव हुए. मुख्यमंत्री बनने के 5 महीने बाद नरेंद्र मोदी विधायक बने. दरअसल गुजरात के कच्छ में 26 जनवरी 2001 को भूकंप आया था. जिसमें भारी तबाही मची थी. गुजरात की जनता में नाराजगी थी. इससे बचने के लिए नरेंद्र मोदी के लिए सेफ सीट चुनी गई थी. इस सीट से नरेंद्र मोदी सिर्फ 10 महीने ही मुख्यमंत्री रहे थे. इसके बाद विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट बदल ली. बाद में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो उन्होंने वजुभाई वाला को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया.
10 महीने बाद मणिनगर सीट से बने विधायक-
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद दिसंबर 2002 में विधानसभा चुनाव हुए. इसमें नरेंद्र मोदी ने अपनी सीट बदल ली. उन्होंने अहमदाबाद की मणिनगर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. मोदी का तर्क था कि सीएम रहने की वजह से बार-बार राजकोट जाना मुश्किल होगा. इसलिए उन्होंने मणिनगर सीट चुनी.
मणिनगर सीट से कमलेश पटेल विधायक थे. लेकिन उन्होंने अपनी सीट नरेंद्र मोदी के लिए छोड़ दी. कमलेश पटेल ने ही नरेंद्र मोदी के बीजेपी में शामिल होने के समय सदस्यता पर्ची भरी थी और 2 रुपए लिए थे.
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