क्या आप विदेश में रहते हैं और भारत में कोई शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं? तो यह खबर आपके लिए है! केरल हाई कोर्ट ने एक ऐसा सनसनीखेज फैसला सुनाया है, जो पुलिस की कार्यप्रणाली को हमेशा के लिए बदल सकता है! अब पुलिस किसी शिकायत को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं कर सकती कि वह विदेश से ईमेल के जरिए आई है या उसमें हस्ताक्षर नहीं हैं. जीरो FIR के नए नियमों ने पुलिस को मजबूर कर दिया है कि वे हर उस शिकायत पर FIR दर्ज करें, जिसमें कोई संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) नजर आए.
क्या है जीरो FIR और क्यों है यह इतना खास?
केरल हाई कोर्ट के जज कौसर एडप्पागथ ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि भरतिया नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 173 ने जीरो FIR को कानूनी मान्यता दे दी है. इसका मतलब है कि अगर आपकी शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध (जैसे चोरी, धोखाधड़ी, या हिंसा) का जिक्र है, तो पुलिस को FIR दर्ज करनी ही होगी, चाहे आप शिकायत विदेश से करें, ईमेल से करें, या उसमें हस्ताक्षर न हों!
जज ने साफ कहा, “जीरो FIR का मकसद यही है कि पीड़ित को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए थाने के क्षेत्राधिकार की चिंता न करनी पड़े. पुलिस का शिकायत को खारिज करना, सिर्फ इसलिए कि वह बिना हस्ताक्षर के ईमेल से आई है, गलत है.”
क्या है इस मामले की पूरी कहानी?
यह मामला तब शुरू हुआ, जब ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक महिला ने 2020 में अपने पति के खिलाफ केरल के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) को एक ईमेल शिकायत भेजी. इस शिकायत को DGP ने मुट्टम पुलिस स्टेशन को भेज दिया. लेकिन पुलिस ने इसे दर्ज करने से इनकार कर दिया, क्योंकि शिकायत में हस्ताक्षर नहीं थे और महिला व्यक्तिगत रूप से थाने में मौजूद नहीं थी. पुलिस के इस रवैये से नाराज महिला ने सीधे केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पुलिस को सबक सिखाने की ठानी.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज कौसर एडप्पागथ ने पुलिस की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि अगर शिकायत में कोई संज्ञेय अपराध नजर आता है, तो पुलिस को FIR दर्ज करने से कोई नहीं रोक सकता. चाहे शिकायतकर्ता विदेश में हो या शिकायत बिना हस्ताक्षर के ईमेल से आई हो, पुलिस का काम है कानून का पालन करना. कोर्ट ने साफ कहा कि BNSS की धारा 173 के तहत पुलिस का शिकायत को खारिज करना गैरकानूनी है.
कोर्ट ने दिया यह बड़ा आदेश
महिला की शिकायत 2020 में दायर की गई थी, और अब वह एक नई शिकायत दर्ज करने को तैयार है. हाई कोर्ट ने इस मामले को खत्म करते हुए मुट्टम पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर को आदेश दिया कि वे महिला की नई शिकायत पर BNSS की धारा 173 के तहत तुरंत कार्रवाई करें. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि शिकायत में कोई औपचारिक कमी (जैसे हस्ताक्षर न होना) FIR दर्ज करने में बाधा नहीं बन सकती.