मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स आज शाम चार बजे से भारत के 244 संवेदनशील जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल करने जा रही है. इस सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की चर्चा पूरे देश में हो रही है. अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह ड्रिल और भी जरूरी हो गई है. लेकिन आज बहुत कम लोग जानते होंगे कि सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की शुरुआत देश में आज से 85 साल पहले की गई थी.
साल 1941 में नागपुर के एक व्यक्ति ई. राघवेन्द्र राव ने यह शुरुआत की थी. उस समय द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर था. 22 जुलाई 1941 को ब्रिटिश संसद में एक बहस के दौरान यह सवाल उठाया गया कि ब्रिटिश सरकार भारत जैसे अपने उपनिवेश देश को युद्ध में सहयोग के लिए किस तरह से जोड़ेगी. इसके जवाब में लॉर्ड एच. स्नेल ने कहा कि भारत में ‘सिविल डिफेंस’ नामक एक नया विभाग बनाया जाएगा और उसकी जिम्मेदारी नागपुर निवासी ई. राघवेन्द्र राव को दी जाएगी.
कौन थे ई. राघवेन्द्र राव
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ई. राघवेन्द्र राव एक इंग्लैंड से शिक्षित बैरिस्टर थे. उन्होंने 1942 में अपने जीवन की अंतिम सांस ली, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने भारत में सिविल डिफेंस की मजबूत नींव रख दी थी, जिसका प्रमाण आज भी MHA के साप्ताहिक मॉक ड्रिल के रूप में सामने आता है.
1889 में जन्मे राव एक प्रसिद्ध सार्वजनिक व्यक्तित्व थे. 1936 में वे सेंट्रल प्रोविंसेज (CP) के गवर्नर नियुक्त हुए, जिसकी राजधानी नागपुर थी. 1937 में, नई संविधान व्यवस्था के तहत, वे सीपी और बरार (ब्रिटिश भारत का एक प्रांत) के मुख्यमंत्री बने. राव के पूर्वज वर्तमान आंध्र प्रदेश से थे, लेकिन उनका परिवार नागपुर में आकर बस गया और यहां एक सफल व्यापार खड़ा किया.
लोगों को सिखाया था सिविल डिफेंस का मतलब
राव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नागपुर में ली, फिर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) और अंत में लंदन जाकर कानून की पढ़ाई की. जब उन्होंने भारत के पहले सिविल डिफेंस प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला, तो उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को इस विदेशी अवधारणा से परिचित कराना.
1941 में ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर दिए एक प्रसारण में राव ने कहा था: “सिविल डिफेंस का अर्थ है हवाई हमलों से बचाव की तैयारी और उनसे हुई क्षति की मरम्मत करना. यह सशस्त्र बलों के कार्य क्षेत्र में नहीं आता. यह एक निष्क्रिय रक्षा प्रणाली है, जो सेना, नौसेना और वायु सेना की सक्रिय रक्षा से अलग होती है.”
उन्होंने सिविल डिफेंस की व्याख्या करते हुए कहा, “इसमें जनता को हवाई हमले की चेतावनी देना, बम गिरने की सूचना देना, क्षतिग्रस्त इमारतों से लोगों को बचाना, घायलों की देखभाल करना, बेघर लोगों को आश्रय और भोजन उपलब्ध कराना शामिल है.”
अपने जीवन के अंतिम वर्ष में राव ने सिविल डिफेंस की नींव मजबूत करने के लिए पूरी तरह समर्पित हो गए. आज भारत का एकमात्र सिविल डिफेंस कॉलेज नागपुर में स्थित है.