दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले (Red Fort) की दीवारें अब वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे का सामना कर रही हैं. हाल ही में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि किले की दीवारों पर बन रही काली परत (ब्लैक क्रस्ट) प्रदूषण के कारण है. यह परत धीरे-धीरे लाल बलुआ पत्थर को नुकसान पहुंचा रही है, जिससे किले की संरचना कमजोर हो सकती है.
लाल बलुआ पत्थर पर डालते हैं गंभीर असर
अध्ययन में खुलासा हुआ कि इस परत में टाइटेनियम, निकेल, कॉपर, जिंक, बैरियम और सीसा (लेड) जैसे भारी धातु मौजूद हैं. ये तत्व मुख्य रूप से निर्माण कार्यों, सड़क की धूल और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण में घुलते हैं और धीरे-धीरे किले की दीवारों पर जम जाते हैं. आर्किटेक्ट और बिल्डिंग एक्सपर्ट डॉ. हरीश त्रिपाठी ने बताया कि प्रदूषण में मौजूद विभिन्न रासायनिक तत्व लाल बलुआ पत्थर पर गंभीर असर डालते हैं. उन्होंने कहा कि अगर यह पत्थर ग्रेनाइट का होता, तो उस पर इतना असर नहीं पड़ता. बारिश के समय यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है, क्योंकि पानी वेदरिंग इफेक्ट को बढ़ा देता है. मुगल वास्तुकला में बड़े पैमाने पर रेड सैंडस्टोन का उपयोग हुआ है, जो अपेक्षाकृत कमजोर होता है. समय के साथ यह पत्थर भुरभुरा होकर टूटने लगता है.
रासायनिक मिश्रणों का किया परीक्षण
इस मामले में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने भी कदम उठाए हैं. एएसआई की केमिस्ट्री शाखा ने लाल किले की दीवारों पर बने काले धब्बों को हटाने के लिए छह अलग-अलग रासायनिक मिश्रणों का परीक्षण किया. परिणामों के आधार पर फुलर अर्थ (Fuller’s Earth) के उपयोग को सबसे प्रभावी माना गया. एएसआई के अनुसार, इस साल अगस्त में लगातार बारिश शुरू होने से पहले एक बड़े हिस्से से काले धब्बों को हटा दिया गया था. एएसआई की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 17 अलग-अलग स्थानों पर XRF तकनीक से धब्बों का अध्ययन किया गया. निष्कर्षों से पता चला कि ये धब्बे न केवल बाहरी प्रदूषण के कारण, बल्कि पत्थर के खनिजीय घटकों में बदलाव की वजह से भी बन रहे हैं.
...तो लंबे समय तक इस धरोहर को रखा जा सकता है सुरक्षित
एएसआई ने कहा कि संरक्षित स्मारकों की नियमित सफाई और वैज्ञानिक संरक्षण एक सतत प्रक्रिया है, जो खराब मौसम के कारण कुछ समय के लिए प्रभावित हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि समय-समय पर सफाई और पत्थर की सुरक्षा के उपायों से इस काली परत के फैलाव को धीमा किया जा सकता है. अगर शुरुआती चरण में यह परत हटा दी जाए, तो लाल किले जैसी ऐतिहासिक धरोहर को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.
(अनमोल नाथ बाली की रिपोर्ट)