शादी में छोटे-मोटे झगड़े आम बात है, जिसे आजाद रहना पसंद हो वो शादी न करे: सुप्रीम कोर्ट

पहले विवाह और फिर झगड़े.. इनके बीच पिस रहे मासूम बच्चे. ऐसी बढ़ती प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी विवाहित जोड़े में पति या पत्नी का अलग रहना नामुमकिन है.

File photo of the Supreme Court of India.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST
  • झगड़े होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि साथ न रहें
  • शादी के बाद स्वतंत्रता की बात बेमानी: कोर्ट

पहले शादी और फिर झगड़े.. इनके बीच पिस रहे मासूम बच्चे. ऐसी बढ़ती प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी विवाहित जोड़े में पति या पत्नी का अलग रहना नामुमकिन है. कोर्ट ने कहा कि जब किसी को अलग ही रहना है तो शादी करने की क्या जरूरत थी? शादी दो आत्माओं का मिलन होता है, कोई मजाक नहीं.

शादी के बाद स्वतंत्रता की बात बेमानी: कोर्ट
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि विवाह में दोनों को एक-दूसरे पर कुछ हद तक निर्भर रहना पड़ता है. अगर कोई ये सोचता है कि शादी के बाद भी वह पूरी तरह से स्वतंत्र रहेगा, तो ऐसा संभव नहीं है. जो लोग दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते, उन्हें शादी के बंधन में बंधने से बचना चाहिए.

झगड़े होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि साथ न रहें
कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच कुछ नोंकझोंक या विवाद होना आम बात है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि दोनों एक-दूसरे से अलग हो जाएं. सबसे ज्यादा नुकसान इस स्थिति में बच्चों को होता है, जिनका बचपन टूटे परिवार की वजह से प्रभावित होता है.

दो छोटे बच्चों की परवरिश प्रभावित हो रही
इस मामले में पति सिंगापुर में काम करता है और पत्नी हैदराबाद में रह रही है. दोनों अलग-अलग रहते हैं और दो छोटे बच्चों की परवरिश प्रभावित हो रही है. कोर्ट ने कहा कि अगर ये दोनों फिर से साथ रहने का रास्ता निकालें, तो इससे बच्चों का भला होगा. बच्चों को माता-पिता दोनों की जरूरत है, खासकर जब वे इतने छोटे हों.

पत्नी का आरोप: सिर्फ कस्टडी में दिलचस्पी है, सुलह में नहीं
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के सामने पेश हुई महिला ने अदालत को बताया कि उसका पति सिंगापुर में रहता है और फिलहाल भारत आया हुआ है, लेकिन सुलह के लिए तैयार नहीं है. वह सिर्फ बच्चों की कस्टडी चाहता है. इस पर कोर्ट ने महिला से पूछा, "आप सिंगापुर क्यों नहीं जा सकतीं?" महिला ने इसके जवाब में पति के व्यवहार को वजह बताया. महिला ने कहा कि वह एक सिंगल मदर है और नौकरी की तलाश में है, क्योंकि उसे पति की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती. इस पर पीठ ने पति को निर्देश दिया कि वह 5 लाख रुपये जमा करे.

अगर ऐसा ही था तो आपने शादी क्यों की?
हालांकि, महिला ने कहा कि वह किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती. इस पर जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कहा, "आप ऐसा नहीं कह सकतीं. जब आप शादी करती हैं तो भावनात्मक या किसी और रूप में अपने पति पर निर्भर होती हैं, भले ही आर्थिक रूप से न हों. आप यह नहीं कह सकतीं कि मैं किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती. अगर ऐसा ही था तो आपने शादी क्यों की? हो सकता है मैं थोड़ी पुरानी सोच वाली हूं, लेकिन कोई भी पत्नी ऐसा नहीं कह सकती कि वह पति पर निर्भर नहीं रहना चाहती."

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि यदि पति-पत्नी आपसी मनमुटाव को भूलकर बच्चों के लिए एकजुट हो जाएं, तो इससे बेहतर कुछ नहीं. अदालत ने उम्मीद जताई कि दोनों बच्चों के भविष्य को देखते हुए कोई समझदारी भरा कदम उठाएंगे.

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