Brahmos-2: 1500 किमी तक मारक क्षमता... आवाज की स्पीड से 8 गुना तेज... पाकिस्तान की सिट्टी-पिट्टी गुम करने के लिए अब ब्रह्मोस-2 की तैयारी में जुटा भारत... जानें इसकी और खासियत

Brahmos-2 Hypersonic Missile: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने तबाही मचाई थी, अब उसका नया वर्जन ब्रह्मोस-2 की तैयारी में भारत जुटा हुआ है. आइए इस घातक सुपरसोनिक मिसाइल की खासियत के बारे में जानते हैं.

Brahmos
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST
  • ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक स्पीड पर लगातार उड़ान भरेगी और टारगेट को डिस्ट्रॉय करेगी
  • ब्रह्मोस-2 मिसाइल परमाणु क्षमता से भी होगी लैस

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान (Pakistan) में जिस ब्रह्मोस मिसाइल ने तबाही मचाई थी, अब उसका नया वर्जन ब्रह्मोस-2 (Brahmos-2) की तैयारी में भारत (India) जुटा हुआ है. ब्रह्मोस का नया वर्जन ब्रह्मोस-2 बेहद खतरनाक है.

भारतीय सेना में इस मिसाइल के जुड़ जाने के बाद पाकिस्तान सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाएगी. ब्रह्मोस-2 की मारक क्षमता 1500 किमी तक है और इसकी स्पीड आवाज से भी 8 गुना तेज है. ब्रह्मोस-2 को ब्रह्मोस-II या ब्रह्मोस मार्क-II भी कहा जाता है. भारत और रूस ने मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास की योजना बनाई है, जो मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है.

भारत की ताकत में होगा और इजाफा
ब्रह्मोस-2 के तहत अब नई प्रणाली पर काम चल रहा है. भारत और रूस इसे मिलकर तैयार करेंगे. इससे भारतीय सेना की ताकत और बढ़ जाएगी. ब्रह्मोस-2 मिसाइल हाइपरसोनिक गति के साथ-साथ परमाणु क्षमता से भी लैस होगी. ब्रह्मोस-2 मिसाइल और अधिक तेज गति से दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम होगी. आपको मालूम हो कि मौजूदा ब्रह्मोस की अधिकतम स्पीड 3.5 मैक है. इसकी मारक क्षमता 290 से 800 किलोमीटर तक है. ब्रह्मोस-2 हाइपर सोनिक मिसाइल होगी. सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल की गति 1 से 5 मैक तक होती है. हाइपर सोनिक मिसाइलों की गति 5 से 12 मैक तक होती है.

साल 2008 में ही हो गया था ऐलान 
आपको मालूम हो कि ब्रह्मोस-2 मिसाइल परियोजना का ऐलान साल 2008 में ही हो गया था. उस समय ऐसी उम्मीद की गई थी कि इसका ट्रायल साल 2015 तक हो जाएगा लेकिन कुछ अड़चनों के आ जाने के कारण इस परियोजना पर आगे काम नहीं हो सका. जो अड़चने आईं थी उसमें मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य होने के नाते रूस शुरुआत में 300 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी वाली तकनीक साझा नहीं कर सकता था. 2014 में भारत के MTCR का सदस्य बनने के बाद यह स्थिति बदल गई. अब एक बार फिर दुनिया में एडवांस हाइपरसोनिक हथियारों के प्रति बढ़ती रुचि और प्रतिस्पर्धा ने इस परियोजना के प्रति भारत और रूस में फिर से रूचि पैदा कर दी है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक ब्रह्मोस-2 के संयुक्त विकास पर भारत और रूस के बीच उच्च स्तरीय चर्चा फिर से शुरू होने वाली है.

 जानिए ब्रह्मोस-2 की खासियत
1. ब्रह्मोस-2 का डिजाइन रूस की 3M22 जिरकॉन से इंस्पायर्ड है, जो मैक 9 की गति से चलती है और यह रूसी नौसेना का हिस्सा भी है.

2. ब्रह्मोस-2 में स्क्रैमजेट इंजन लगा होगा, जो वर्तमान ब्रह्मोस के रामजेट सिस्टम से कहीं अधिक एडवांस है.

3. ब्रह्मोस-2 का वजन 1.33 टन हो सकता है, जो एयर-लॉन्च ब्रह्मोस-A (2.65 टन) से करीब आधा है. 

4.  ब्रह्मोस-2 भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस के साथ कई एयरक्राफ्ट में लगाई जा सकेगी.

5. ब्रह्मोस-2 मिसाइल की गति मैक 8 (ध्वनि की गति से 8 गुना अधिक) होगी. 

6. ब्रह्मोस-2 को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है ताकि इसकी मारक क्षमता 1500 किलोमीटर हो.

7. ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक स्पीड पर लगातार उड़ान भरेगी और टारगेट को डिस्ट्रॉय करेगी.


 

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