पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ऑतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से आतंकवादियों को सबक सिखा दिया है. अब भारत पूरी दुनिया को इसके बारे में बताएगा.
दुनिया भर में पाकिस्तान के आतंकवाद की पोल खोलने के लिए मोदी सरकार ने एक डेलिगेशन बनाया है. इस डेलिगेशन में कई सारे सांसद हैं. इस डेलिगेश में सिर्फ बीजेपी सांसद ही नहीं है. अलग-अलग पार्टियों के भी सांसद है. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के शशि थरूर हैं.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ऑपरेशन सिंदर और आतंकवाद को लेकर भारत का पक्ष रखेंगे. मोदी सरकार विपक्ष के एक बड़े नेता को भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश दौरे पर भेज रही है. हालांकि, ये पहली बार नहीं जब भारत सरकार ने विपक्ष के किसी नेता को देश का पक्ष रखने के लिए विदेश भेजा है. इससे पहले कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने भी विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश में भारत का पक्ष रखने के लिए भेजा था.
भारत का डेलिगेशन
पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत ने दुनिया के सामने पाकिस्तान की पोल खोलने का फैसला लिया है. भारत का डेलिगेशन अमेरिका, ब्रिटेन और यूएई जैसे देशों में जाएगा. भारत अलग-अलग देशों में ऐसे ही 7 प्रतिनिधि मंडल भेजेगा. इस डेलिगेशन में शशि थरूर और असुद्दीन औवेसी होंगे.
केन्द्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने ऑल पार्टी डेलिगेशन को लेकर एक्स पर जानकारी दी. रिजिजू ने लिखा कि शशि थरूर, रवि शंकर प्रसाद, संजय झा, बैज्यनाथ पांडा, कनिमोजी करुणानिधि, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे अलग-अलग डेलिगेशन का नेतृत्व करेंगे. शशि थरूर अमेरिका जाने वाले डेलिगेश की अगुवाई कर सकते हैं.
पाकिस्तान की खुलेगी पोल
पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए मोदी सरकार ने एक खास योजना बनाई है. भारतीय डेलिगेशन दुनिया भर में पाकिस्तान के आतंकवाद के समर्थन को बेनकाब करेगा. मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीति का सहारा ले रही है. मोदी सरकार से पहले भी कई सरकारों ने ऐसा किया है. 2008 आतंकी हमले के बाद मनमोहन सरकार ने भी ऐसा किया था.
मोदी सरकार के इस डेलिगेशन में कई विपक्षी नेता भी हैं. कांग्रेस की नरसिम्हा राव ने भी ऐसा किया था. ये वाकया 1994 का है. पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में एक प्रस्ताव रखा है. इसमें कहा गया कि कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन हो रहा है. यूएन में अगर ये प्रस्ताव पास हो जाता तो भारत पर कई आर्थिक प्रतिबंध लग सकते थे. उस समय देश में कांग्रेस की सरकार था. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और बीजेपी विपक्ष में थे.
जब वाजपेयी गए UN
तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का एक प्रतिनिधिमंडल भेजा. नरसिम्हा राव ने इस डेलिगेशन के अगुवाई की जिम्मेदारी विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी. भारत के इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से सलमान खुर्शीद, हामिद अंसारी और नेशनल कान्फ्रेंस से फारूख अब्दुल्ला भी थे.
अटल बिहारी वाजपेयी ने इस डेलिगेशन की अध्यक्षता की. भारत का प्रतिनिधिमंडल जिनेवा गया. सलमान खुर्शीद ने उस डेलिगेशन को लेकर कहा था कि उनके साथ काम करके ऐसा नहीं लगा कि वो सीनियर हैं. हम एक टीम की तरह खेले थे. वह हमारे कप्तान था. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान के झूठ को सबके सामने बेनकाब कर दिया.
शानदार स्वागत
अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपना पक्ष शानदार तरीके से रखा. प्रस्ताव पर वोटिंग वाले दिन ऐसा कुछ हुआ कि पाकिस्तान हैरान रह गया. पाकिस्तान के पक्ष में मतदान करने वाले देशों ने अपना रुख बदल लिया. बाकी देशों के रूख को देखते हुए पाकिस्तान ने प्रस्ताव को वापस ले लिया और भारत की जीत हुई. यूएन में जीत हासिल कर भारतीय डेलिगेशन का दिल्ली आने पर शानदार स्वागत हुआ.
नरसिम्हा राव की तरह मोदी सरकार ने भी वही कूटनीति अपनाई है. मोदी सरकार अलग-अलग देशों में भारतीय डेलिगेशन भेज रही है. इसमें शशि थरूर समेत कई विपक्षी नेता हैं. ये सभी सांसद अलग-अलग देशों में जाकर बताएंगे कि पाकिस्तान कैसे आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है? भारत आतंकवाद से पीड़ित है. पाकिस्तान के आतंकवाद की वजह से भारत को ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई को अंजाम देना पड़ रहा है.