Indian Navy day 2025: जानें किसे और क्यों कहते हैं भारतीय नौसेना का जनक

1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को याद करते हुए भारत में हर साल आज ही के दिन, यानी हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

भारतीय नौसेना दिवस हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है ताकि भारतीय नौसेना के साहस, उपलब्धियों और देश के प्रति योगदान को याद और उन्हें सम्मानीत किया जा सके. आज की दिन ऑपरेशन ट्राइडेंट की वर्षगांठ है. ऑपरेशन ट्राइडेंट भारतीय नौसेना का वह ऑपरेशन था जिसमें भारतीय नौसेना ने 1971 में पाकिस्तानी सेना को समुद्री युद्ध में निर्णायक सबक सिखाया था. 

इस दिन देशभर के सैन्य और नौसैनिक स्टेशनों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाता है. परेड निकाली जाती है और नौसेना की आधुनिक क्षमता को प्रदर्शित किया जाता है, जिसे लाइव टेलीविजन पर दिखाया जाता है. यह पूरा आयोजन भारतीय नौसेना की ताकत और सैन्य क्षमता का परिचय देता है. कार्यक्रम में सेना के शीर्ष अधिकारी भी शामिल होते हैं.

भारतीय नौसेना के जनक किसे कहा जाता है?
छत्रपति शिवाजी महाराज, महान मराठा योद्धा को भारतीय नौसेना का जनक कहा जाता है. उनकी दूरदर्शी रणनीतियों और समुद्री उपलब्धियों ने भारत में एक मजबूत नौसैनिक शक्ति की नींव रखी थी.
जब यूरोपीय शक्तियां समुद्रों पर कंट्रोल बनाए हुए थी, तब शिवाजी महाराज ने एक आत्मनिर्भर नौसेना बनाने का फैसला किया.  इसी कारण उन्हें भारतीय नौसेना का पिता बोला जाता है. 

शिवाजी ने समुद्री ताकत को पहचाना, जो उस समय बहुत से भारतीय राजाओं ने नजर अंदाज कर दिया था. उन्होंने समुद्री तट को केवल सीमा नहीं, बल्कि सुरक्षा, व्यापार और राज्य की रक्षा का महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाया. 

छत्रपति शिवाजी महाराज को नौसेना का जनक क्यों कहा जाता है?
शिवाजी महाराज को भारतीय नौसेना का जनक इसलिए कहा जाता है क्योंकि जब कोई आगे नहीं बढ़ा तब उन्होंने 17 वीं सदी में समुद्री युद्ध और रणनीति को नई दिशा दी थी. उन्होंने मराठा नौसेना की स्थापना की, सुदृढ़ समुद्री किले बनवाए और समुद्री युद्ध की नई तकनीकों को विकसित करवाया. 

उन्होंने तेज और छोटे जहाजों की एक सेना तैयार करवाई जो तटीय जल क्षेत्रों के रक्षा और व्यापार के लिए बिल्कुल सही था. उनकी समुद्री दृष्टि ने उस नींव को तैयार किया, जो आगे चलकर आधुनिक भारतीय नौसेना की ताकत बनी.

छत्रपति जी की नौसेना ने पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश जैसी यूरोपीय शक्तियों से कोकण तट की रक्षा की और महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों को उनसे सुरक्षित किया. सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग और सुवर्णदुर्ग जैसे मजबूत समुद्री किलों का निर्माण उनकी रणनीतिक सोच का सबूत है.

शिवाजी पहले मार्गदर्शक थे जिन्होंने न केवल समुंद्र पर अपना झंडा लहराया बल्कि समुंदरी व्यापार को भी एक नई दिशा दी. युगों-युगों तक भारतीय नौसेना छत्रपति शिवाजी महाराज के योगदान को याद रखेगा.  

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