CAG Report: केजरीवाल सरकार के पुराने सीएजी रिपोर्ट धीरे-धीरे जारी करने के पीछे क्या बीजेपी की कोई रणनीति है?

पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा. जिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी भ्रष्टाचार विरोध के नाम पर अस्तित्व में आई थी उन्हीं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे. कई सारी जांच एजेंसियां पिछली दिल्ली सरकारों की योजनाओं की जांच कर रहीं हैं.

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कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST
  • बीजेपी क्यों पहले ही सत्र में ला रही है पुराने सरकारों की ऑडिट रिपोर्ट?
  • क्यों सारे रिपोर्ट एक साथ जारी नहीं कर रही है सरकार?

पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहा. जिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी भ्रष्टाचार विरोध के नाम पर अस्तित्व में आई थी उन्हीं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे. कई सारी जांच एजेंसियां पिछली दिल्ली सरकारों की योजनाओं की जांच कर रहीं हैं. उनमें से एक महत्वपूर्ण एजेंसी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया भी है, जिसे आम बोलचाल में सीएजी कहा जाता है. दरअसल सीएजी अलग-अलग सरकारी योजनाओं की ऑडिट करती है, यानी उनमें हुए खर्च और उनसे मिलने वाले फायदों की पड़ताल की जाती है.

बीजेपी क्यों पहले ही सत्र में ला रही है पुराने सरकारों की ऑडिट रिपोर्ट?
दरअसल बीजेपी को मिला जनादेश अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ ज्यादा था. बीजेपी ने लोगों में इस नरेटिव को जबरदस्त तरीके से फैलाया कि दिल्ली वालों के पैसों की जबरदस्त लूट हुई. उसके पीछे शराब घोटाला और मुख्यमंत्री आवास बनाने में कोई गड़बड़ियां तो थीं हीं, वो 14 सीएजी रिपोर्ट भी थीं जिन्हें पहले केजरीवाल सरकार ने और बाद में आतिशी सरकार ने विधानसभा में पेश ही नहीं किया. ये रिपोर्ट तैयार हैं और इसलिए बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार इन्हीं को सामने रखकर आम आदमी पार्टी की पिछली सरकारों के खिलाफ भ्रष्टाचार को सबूतों के साथ रख कर श्रीगणेश करना चाहती है.

क्यों सारे रिपोर्ट एक साथ जारी नहीं कर रही है सरकार?
दिल्ली सरकार के पास इस समय 14 कैग रिपोर्ट मौजूद है. उनमें से ज्यादातर वह रिपोर्ट हैं जिस समय अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हुआ करते थे. इनमें तो कई में तो काफी गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पिछली सरकारों के कामकाज में सीएजी ने पाईं हैं. तो सवाल यह उठता है कि बीजेपी सरकार सारे रिपोर्ट्स एक साथ ही जारी क्यों नहीं कर रही? क्या इसमें कोई तकनीकी पहलू है या फिर सोची समझी रणनीति? आधिकारिक तौर पर, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता बताते हैं कि "रिपोर्ट सीएजी विधानसभा सचिवालय को देती है और जैसे जैसे रिपोर्ट आते जाएंगे उन्हें सदन पटल पर रखा जाएगा." वहीं ये भी सोच है कि इकट्ठा सारे रिपोर्ट का अध्ययन करना संभव नहीं है क्योंकि रिपोर्ट्स अलग अलग विषयों पर है. इसलिए सरकार एक साथ नहीं बल्कि धीरे धीरे अलग अलग सत्रों में सारी रिपोर्ट जारी करेगी. लेकिन राजनीतिक बताते हैं कि इसके पीछे बीजेपी की स्ट्रेटजी ये है कि वो टाइमिंग के लिहाज से रिपोर्ट जारी करती रहेगी ताकि विपक्ष में बैठे आम आदमी पार्टी पर दबाव लगातार बनता रहे.

पिछली विधानसभा में कैग रिपोर्ट को जारी करने पर भाजपा ने लड़ी थी कानूनी लड़ाई
इस बात में एक रोचक पहलू यह भी है कि पिछली विधानसभा में जब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में बैठी थी तो उसने आम आदमी पार्टी पर यह आरोप लगाया कि वह जानबूझकर रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रही है. इसको लेकर तब विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता दिल्ली हाई कोर्ट भी गए थे. अब वही विजेंद्र गुप्ता दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि क्यों नहीं रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी जा रही है? अल्लाह की उसे समय विधानसभा चुनाव घोषणा हो चुकी थी इसलिए सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में नहीं रखी जा सकी.

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