EXPLAINER: झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदला, अब वीरांगना लक्ष्मी बाई स्टेशन होगा नया नाम; जानिये क्या होती है नाम बदलने की प्रक्रिया

राज्य सरकारें लंबे समय से चली आ रही लोकप्रिय मांग या किसी बड़े आइकॉन के आसपास चीजों को मोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन का नाम बदलने फैसला करती है. यह कहा जा सकता है कि राजनीति के लिए ऐसा किया जाता है. इस रिपोर्ट में पढ़िये स्टेशन का नाम कैसे और क्यों बदला जाता है.

झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन किया गया
आशुतोष रंजन
  • लखनऊ,
  • 30 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST
  • उत्तर प्रदेश में पहले भी बदले गए हैं स्टेशनों के नाम
  • मुगलसराय, इलाहाबाद और फैजाबाद के बदले गए नाम

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया है. इसे अब वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन के नाम से जाना जाएगा. ये पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में किसी स्टेशन का नाम बदला गया हो.

पहले भी बदले गए हैं नाम
पहले भी कई स्टेशनों का नाम बदला जा चुका है. जैसे मुगलसराय का पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, फैजाबाद का अयोध्या छावनी, इलाहाबाद का प्रयागराज नाम किया जा चुका है. पिछले दिनों मध्य प्रदेश में हबीबगंज का नाम बदलकर रानी कमलापति कर दिया गया था. तो ये स्टेशन का नाम कैसे और क्यों बदला जाता है? इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है? आइये समझते हैं...

सबसे पहले आपको ये बता दें कि राज्य सरकारें लंबे समय से चली आ रही लोकप्रिय मांग या किसी बड़े आइकॉन के आसपास चीजों को मोड़ने के लिए यह फैसला करती है. यह कहा जा सकता है कि राजनीति के लिए ऐसा किया जाता है.

ये है पूरी प्रक्रिया-

  • रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया की शुरुआत राज्य सरकार की तरफ से होती है
  • राज्य सरकार इसके लिए रिक्वेस्ट करती है और ये सबसे पहले रेलवे बोर्ड के पास जाता है
  • रेलवे बोर्ड इसमें गृह मंत्रालय से एनओसी मांगती है
  • गृह मंत्रालय की तरफ से एनओसी दिया जाता है
  • रेलवे बोर्ड जिस नाम का सुझाव देती है, वह नाम हो जाता है
  • इसके बाद सभी जगह नाम बदल जाते हैं

रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने की आसान कागजी प्रक्रिया है. नाम बदलने के लिए लोकसभा या विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराने की जरूरत नहीं पड़ती. कागजी प्रक्रिया में जो वक्त लग जाए. इसके लिए कुछ और नहीं करना पड़ता.

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