सावन का पावन महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, और शिव भक्तों ने कांवड़ यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है. सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, और इस दौरान शिव भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं. भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं. हरिद्वार में साधु संतों और श्रद्धालुओं ने गंगा मैया का पूजन किया और कांवड़ यात्रा के लिए आशीर्वाद मांगा.
बहू बनी श्रवण कुमार
हरिद्वार से कांवड़ लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इन भक्तों में एक हैं हापुड़ की आरती जो हरिद्वार से वापस लौट रही हैं. दिसचस्प बात यह है कि आरती अकेली नहीं है. वह अपनी बेटी के साथ हैं और दोनों मां-बेटी ने कंधों पर कांवड़ लेकर चल रहे हैं और इसमें उनकी सास बैठी हैं.
आरती अपनी बूढ़ी सास को गंगा स्नान करवाकर लौट रही हैं. आरती से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिवजी की कृपा है. मन में आया कि मां को भी गंगा स्नान करा लाएं तो बस ले आए. वहीं, उनकी सास का कहना है कि पहले उन्हें लगा था कि वह नहीं ला पाएगी लेकिन अब उन्हें भरोसा है अपनी इस 'श्रवण कुमार' बहू पर.
कांवड़ यात्रा का महत्त्व और नियम
कांवड़ यात्रा कठिन तपस्या और सांसारिक सुखों के त्याग का प्रतीक है. भक्त बिना किसी कठिनाई की परवाह किए, शिव की भक्ति में लीन होकर यात्रा करते हैं. हर उम्र और तबके के लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं.
कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी है. कांवड़ की स्वच्छता और सात्विकता पर ध्यान देना चाहिए. कांवड़ियों को शुचिता का ख्याल रखना चाहिए और शिव मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.
कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा वर्जित है. कांवड़ियों को मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. बिना स्नान किए कांवड़ नहीं उठाना चाहिए. कांवड़ यात्रा के दौरान तेल, साबुन और अन्य श्रृंगार सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए.
कांवड़ यात्रा के प्रकार
कांवड़ यात्रा कई प्रकार की होती है, जैसे सामान्य कांवड़, डाक कांवड़, खड़ी कांवड़, दांडी कांवड़ और झूला कांवड़. भक्त अपनी श्रद्धा और सेहत के अनुसार इनमें भाग लेते हैं. सावन का महीना करीब आ रहा है और कांवड़ यात्रा को लेकर शिव भक्तों का उत्साह बढ़ता जा रहा है. इस पावन यात्रा में शामिल होकर आप भी भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं और अपना जीवन धन्य कर सकते हैं.