Kargil War Story: Tololing, Tiger Hill और चोटी संख्या 5140 पर फतह की कहानी जानिए

Kargil Vijay Diwas: साल 1999 में पाकिस्तान ने करगिल में भारतीय जमीन पर कब्जे के लिए घुसपैठ की थी. लेकिन भारतीय जवानों ने पाकिस्तान के मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया. करीब दो महीने चले युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा. इस दौरान भारतीय जवानों ने कई चोटियों पर दोबारा कब्जा कर लिया.

करगिल विजय दिवस
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:13 AM IST
  • दिगेंद्र कुमार ने 48 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था
  • टाइगर हिल पर फतह के लिए चलाया था 36 घंटे का ऑपरेशन

आज यानी 26 जुलाई को देश करगिल युद्ध की 23वीं वर्षगांठ मना रहा है. बच्चे, बड़े, महिलाएं और बुजुर्ग सभी करगिल में हमारे सैनिकों की शहादत को याद कर रहे हैं. साल 1999 में पाकिस्तान में हमला किया था. ये युद्ध करीब दो महीने तक चला था. 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़े गए इस युद्ध में 527 वीर सैनिकों ने शहादत दी थी. जबकि इस युद्ध में मातृभूमि की रक्षा करते हुए 1300 से ज्यादा सैनिक जख्मी हुए थे. वीर सैनिकों ने इस युद्ध में घुसपैठिए पाकिस्तान के एक हजार से ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था.
3 मई 1999 को कुछ चरवाहों ने भारतीय जवानों को घुसपैठ की जानकारी दी. 5 मई को भारतीय पेट्रोलिंग पार्टी घुसपैठ के इलाके में गई. घुसपैठिए हथियारों से लैस थे. जिसने हमारे 5 जवानों को शहीद कर दिया. 9 मई को करगिल जिले में पाकिस्तान सेना ने तोप से हमला किया और भारतीय गोला बारूद डिपो को उड़ा दिया. 10 मई को पाकिस्तान घुसपैठियों ने भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया. इसके बाद 15 मई को घुसपैठियों ने 2 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया. फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बंदी बना लिया. स्क्वॉड्रन लीडर अजय आहूजा शहीद हो गए. इसके बाद भारत ने घुसपैठियों के खिलाफ एक्शन शुरू किया.

तोलोलिंग चोटी पर फतह-
एक जून 1999 को लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी की डिविजन को द्रास सेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इससे पहले भी इस चोटी पर कब्जे की कोशिश की गई थी. लेकिन सफलता नहीं मिली थी. लेफ्टिनेंट जनरल ने 2 राजपूताना राइफल्स को तोलोलिंग फतह की जिम्मेदारी सौंपी. करीब दो हफ्ते में पूरी तैयारी की गई. 12 जून को सीओ कर्नल रवींद्रनाथ ने तोलोलिंग फतह के लिए बेहतरीन प्लान बनाया था. भारतीय जवानों ने तोलोलिंग चोटी पर 13 जून को तिरंगा फहरा दिया था. कोबरा दिगेंद्र कुमार ने 48 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मौत के घाट उतार दिया था. दिगेंद्र को 5 गोलियां लगी थी. लेकिन इसके बाद भी दिगेंद्र ने पाकिस्तानी मेजर अनवर खान की गर्दन काट दी थी.

चोटी संख्या 5140 पर फतह-
श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर महत्वपूर्ण चोटी संख्या 5140 पर पाकिस्तानियों ने कब्जा कर लिया था. जिससे मुक्त कराने की जिम्मेदारी कैप्टन विक्रम बत्रा की टुकड़ी को मिली. बत्रा की टीम ने 20 जून 1999 को सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर चोटी पर तिरंगा फहरा दिया. चोटी फतह के बाद विक्रम बत्रा ने रेडियो से अपने कमांड को संदेश दिया 'ये दिल मांगे मोर'. इसका मतलब था कि चोटी पर फतह हो चुका है. इसके बाद बत्रा की टीम को चोटी 4875 को फतह की जिम्मेदारी दी गई. इस दौरान 7 जुलाई को विक्रम बत्रा शहीद हो गए. हालांकि भारत ने इस चोटी पर फौरन ही कब्जा कर लिया था.

टाइगर हिल पर फतह-
30 जून को रेजिमेंट 18 ग्रेनेडियर टाइगर हिल फतह के लिए रवाना हुई. 7 जुलाई को तड़के सुबह 4 बजे टाइगर हिल पर भारतीय झंडा फहराया गया. इस दौरान 44 जवान शहीद हुए. बहादुरी के लिए ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से नवाजा गया. जबकि लेफ्टिनेंट बलवंत सिंह को महावीर चक्र दिया गया. टाइगर हिल पर कब्जे की लड़ाई 36 घंटे चली थी. इस दौरान 18 ग्रेनेडियर के जवानों ने खाने के सामान को कम कर दिया था और उसकी जगह गोला-बारूद रख लिया था. लेफ्टिनेंट बलवंत सिंह की अगुवाई में सेना ने टाइगर हिल पर फतह किया. 

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