केंद्र की सत्ता पर काबिज़ मोदी सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को खुश करने के लिए देशभर के कपास किसानों को दांव पर लगा दिया है और ट्रम्प के सामने किया गया यह सरेंडर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है. यह कहना है दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का.
'दांव पर लगा दिए किसान'
दरअसल बीते कुछ समय से केजरीवाल गुजरात के कपास किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं. उन्होंने कपास से इंपोर्ट ड्यूटी हटाने के भारत सरकार के फैसले की आलोचना की है और उसकी वापसी की भी मांग की है. अब केजरीवाल ने एक बार फिर कपास किसानों का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए देश के कपास किसानों को दांव पर लगा रही है.
केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "ट्रंप को खुश करने के लिए देश भर के कपास किसानों को दांव पर लगा दिया. दोनों देशों के बीच ये कैसी बातचीत चल रही है? केवल एकतरफा बातचीत? अपने किसानों, व्यापारियों और युवाओं के रोजगार को ताक पर रख के भारतीय बाजार को पूरी तरह से अमेरिकियों के लिए खोला जा रहा है. अगर पूरे भारतीय बाजार पर अमेरिकियों का कब्जा हो गया तो हमारे लोग कहां जाएंगे?"
ट्रम्प के आगे सरेंडर, भारत का अपमान
केजरीवाल ने कहा कि ट्रंप के सामने किया गया यह सरेंडर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक है और 140 करोड़ भारतीयों का अपमान भी है. देश उम्मीद करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कमजोर नहीं पड़ेंगे और देश के मान की रक्षा करेंगे. गौरतलब है कि केजरीवाल इससे पहले गुजरात दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने इंपोर्ट ड्यूटी में विदेशी व्यापारियों को मिली राहत से भारतीय किसानों को होने वाले नुकसान पर रोशनी डाली थी.
केजरीवाल ने कहा था कि पहले कपास किसानों को 1500 रुपये प्रति मन तक दाम मिलता था, लेकिन अब यह यह घटकर 1200 रुपये रह गया है. साथ ही बीज और मजदूरी की लागत भी बढ़ गई है. अगर अमेरिका से कपास का आयात बढ़ा तो भारतीय किसानों को 900 रुपये प्रति मन तक ही दाम मिलेगा.
केजरीवाल इस दौरान ट्रम्प की टैरिफ नीति की भी कड़ी आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने अपने गुजरात दौरे पर कहा था कि ट्रम्प बुजदिल हैं और जिस देश ने भी उनके सामने आंख दिखाई, उन्हें झुकना पड़ा. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की थी कि अगर अमेरिका 50 फीसदी टैरिफ लगा रहा तो भारत को 75 फीसदी जवाबी टैरिफ (Reciprocal Tarrif) लगाना चाहिए.