DRDO और भारतीय नौसेना ने ओडिशा चांदीपुर तट पर वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. DRDO के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है. वीएल-एसआरएसएएम प्रणाली (VL-SRSAM SYSTEM) को भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है. डीआरडीओ (DRDO) के अधिकारियों के अनुसार यह मिसाइल लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित दुश्मन के टारगेट को तबाह कर सकती है.
स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर से लैस मिसाइलों ने उच्च सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदा. एक बयान में मंत्रालय ने कहा, 'परीक्षण लॉन्च के दौरान, प्रदर्शन मापदंडों की निगरानी उड़ान डेटा का उपयोग करके की गई थी, जिसे रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस) और आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात टेलीमेट्री सिस्टम जैसे विभिन्न रेंज उपकरणों द्वारा कैप्चर किया गया था.
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
इस प्रक्षेपण की निगरानी रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल)के साथ डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी. सफल परीक्षण के बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय नौसेना और संबंधित टीमों की सराहना की.
भारतीय नौसेना को और मजबूत करेगा
रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने भी सफल उड़ान परीक्षण में शामिल टीमों को बधाई दी और कहा कि परीक्षण ने हथियार प्रणाली की प्रभावशीलता को साबित कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए भारतीय नौसेना को और मजबूत करेगा.
VL-SRSAM मिसाइल की खासियत
इस मिसाइल की दो प्रमुख खासियतें हैं. क्रूसिफॉर्म विंग्स और थ्रस्ट वेक्टरिंग. क्रूसिफॉर्म में चार छोटे पंख होते हैं, जो चारों तरफ एक क्रॉस की तरह व्यवस्थित होते हैं और प्रक्षेप्य को एक स्थिर मुद्रा देते हैं. थ्रस्ट वेक्टरिंग अपने इंजन से कोणीय वेग और मिसाइल को नियंत्रित करने वाले थ्रस्ट की दिशा बदलने में मदद करता है. भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर VL-SRSAM मिसाइल की तैनाती करना इसका परीक्षण का मुख्य उद्देश्य है.