मध्य प्रदेश में नाम बदलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. राज्य सरकार ने अब अलीराजपुर जिले का नाम बदलकर आलीराजपुर कर दिया है. राजस्व विभाग ने इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी कर दी है. इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन जिले के तीन और शाजापुर जिले के 11 नाम भी बदल चुके हैं. इस कदम ने राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दिया है.
नाम बदलने पर सियासत तेज-
कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था ठप है, रोजगार नहीं है, बेरोजगारी चरम पर है और महंगाई बढ़ रही है, लेकिन सरकार नाम बदलने में व्यस्त है.
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि प्रदेश की जनता रोजगार, स्वास्थ्य, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन सरकार का ध्यान केवल नाम बदलने पर है.
यह पहली बार नहीं, पहले भी बदले गए नाम-
यह कोई नया मामला नहीं है. भाजपा सरकार के पिछले 22 वर्षों में कई जिलों, शहरों और इमारतों के नाम बदले गए हैं. शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में ये बदलाव किए गए थे:
• इस्लामनगर → जगदीशपुर
• नसरुल्लागंज → भेरुन्दा
• बाबई → माखन नगर
• होशंगाबाद → नर्मदा पुरम
• हबीबगंज स्टेशन → कमलापति स्टेशन
इसके बाद जनवरी 2025 में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन जिले के बड़नगर क्षेत्र में मौलाना गांव का नाम बदलकर विक्रम नगर कर दिया. साथ ही गजनी खेड़ी को चामुंडा माता और जहांगीरपुर को जगदीशपुर नाम दिया गया.
इसके अतिरिक्त, शाजापुर जिले में भी 11 गांवों के नाम बदले गए, जैसे:
• मोहम्मदपुर मछनाई → मोहनपुर
• ढाबला हुसैनपुर → ढाबला राम
• मोहम्मदपुर पवाड़िया → रामपुर पवाड़िया
• खजूरी अलाहदाद → खजूरी राम
• हाजीपुर → हीरापुर
• निपानिया हिसामुद्दीन → निपानिया देव
• रीछड़ी मुरादाबाद → रिछड़ी
• खलीलपुर → रामपुर
• घट्टी मुख्तयारपुर → घट्टी
• ऊंचोद → ऊंचावद
• शेखपुर बोंगी → अवधपुरी
सांस्कृतिक पहचान का हवाला-
अलीराजपुर जिले का नाम बदलने की मांग 2012 से चल रही थी. स्थानीय संगठन ने जिले की सांस्कृतिक पहचान और सही उच्चारण ‘आलीराजपुर’ को आधार बनाकर तत्कालीन मंत्री अंतर सिंह आर्य की अध्यक्षता में हुई जिला योजना समिति की बैठक में ज्ञापन सौंपा था. समिति ने इसे सर्वसम्मति से पास कर प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा, जिस पर अब सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है.
(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)
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