वृद्धाश्रम में मनाई 35वीं सालगिरह, बुजुर्गों के आशीर्वाद से एक बार फिर रचाया विवाह, लिए सात फेरे

मध्य प्रदेश के खरगोन में एक दंपति ने अपनी 35वीं वर्षगांठ पर अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने अपनी शादी की सालगिरह वृद्धाश्रम में मनाई और वह भी बहुत ही अनोखे अंदाज में. 58 वर्षीया सुरक्षा तारे एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं तो वहीं उनके पति 58 वर्षीय अनिल तारे पंडिताई करते हैं. 

Representational Image (Credits: Give India)
gnttv.com
  • खरगोन,
  • 19 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST
  • वृद्धाश्रम में मनाई शादी की 35वीं सालगिरह
  • फिर से रचाई शादी और लिए सात फेरे

मध्य प्रदेश के खरगोन में एक दंपति ने अपनी 35वीं वर्षगांठ पर अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने अपनी शादी की सालगिरह वृद्धाश्रम में मनाई और वह भी बहुत ही अनोखे अंदाज में. 58 वर्षीया सुरक्षा तारे एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं तो वहीं उनके पति 58 वर्षीय अनिल तारे पंडिताई करते हैं. 

हाल ही में दोनों ने अपनी शादी की 35वीं सालगिरह मनाई. इस अवसर पर वह खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 85 किलोमीटर दूर बलकवाड़ा के नर्मदा तट स्थित वृद्धाश्रम में पहुंचे. यहां रह रहे बुजुर्गों के आशीर्वाद से उन्होंने एक बार फिर शादी रचाई और सात फेरे लिए. 

बच्चे व रिश्तेदार बने घराती व बाराती:  

अनिल और सुरक्षा की दोनों बेटियां, उनके दामाद व अन्य रिश्तेदार भी इस समारोह का हिस्सा बने. जिनमें से किसी ने घराती की भूमिका अदा की तो किसी ने बाराती की. यह दिन इस दम्पति के साथ-साथ वृद्धाश्रम के सभी बुजुर्गों के लिए भी खास बन गया. 

इन बुजुर्गों को काफी समय बाद किसी शादी-समारोह का हिस्सा बनने का मौका मिला. सुरक्षा और अनिल ने शादी के बाद सभी बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया.

बुजुर्गों को मिला उत्सव मनाने का मौका: 

वृद्धाश्रम में रहने वाले 80 वर्षीय बुजुर्ग शिवप्रसाद प्रजापत का कहना है आज तारे परिवार और उनके मेहमान हम बुजुर्गों के बीच आये हुए हैं. यह दिन बहुत ही ख़ास और अच्छा रहा. हम सबके लिए अच्छे खाने-पीने का इंतजाम हुआ. हम सबने उत्सव मनाया.  

सभी बुजुर्गों ने तहे दिल से तारे दम्पति का शुक्रिया अदा किया और उनकी ख्वाहिश है कि इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए. इससे उन्हें भी समाज का हिस्सा होने का अहसास होता रहेगा. वहीं अनिल तारे का कहना है कि उन्होंने समाज जागरण का निर्णय लिया है. उनका उद्देश्य ऐसे बुजुर्ग माता-पिता के बीच खुशियां बांटना है जिन्हें उनके बच्चों ने छोड़ दिया है. 

वह अन्य लोगों से भी ऐसा करने की अपील करते हैं ताकि इन बुजुर्गों के मन में कोई हीं भावना न आए. 

(उमेश रेवलिया की रिपोर्ट)

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