Monsoon in India: पूर्वी भारत में तूफान के आसार? अरब सागर और बंगाल की खाड़ी बदलने वाले हैं मौसम... जानिए क्या है मौसम विभाग का अनुमान

पूर्वी भारत और पश्चिमी भारत में जल्द ही मानसून रफ्तार पकड़ सकता है. इसकी वजह है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों में ही लो-प्रेशर एरिया तैयार हो रहे हैं. लेकिन ये मानसून को कैसे प्रभावित करेंगे? आइए समझते हैं.

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कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

मौसम विभाग के निरीक्षण ने मंगलवार सुबह यह साफ कर दिया है कि भारत में पूर्वी और पश्चिमी दोनों दिशाओं से कम दबाव वाले क्षेत्र (Low Pressure Areas) बन रहे हैं. इसका मतलब है कि गुजरात से लेकर पूर्वी भारत तक मौसम का मिज़ाज बदलने वाला है. यानी तूफान की भी संभावनाएं हैं. ये लो-प्रेशर एरिया क्या होते हैं और ये आने वाले दिनों में मौसम को कैसे प्रभावित करेंगे, आइए समझते हैं.

क्या होता है लो प्रेशर एरिया? 
लो प्रेशर एरिया (कम दबाव का क्षेत्र) वह जगह होती है जहां हवा का दबाव आसपास के इलाकों से कम होता है. इसका मतलब है कि वहां हवा हल्की होती है और ऊपर की तरफ उठती है. जब हवा ऊपर उठती है तो नमी ठंडी होकर बादल बनाती है. इससे बारिश या तूफान जैसी मौसमी घटनाएं हो सकती हैं.

सीधे शब्दों में कहें तो लो प्रेशर हवा को ऊपर ले जाती है और फिर यही हवा पहले बादल बनती है और फिर बारिश. कुछ सूरतों में ये तेज़ हवाओं में भी बदल जाती हैं. ये अक्सर चक्रवात (cyclone) या मानसून जैसे हालात से जुड़ा होता है. अब अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों के आसपास लो-प्रेशर एरिया बन रहे हैं. 

गुजरात के ऊपर अरब सागर के बादल
दक्षिण गुजरात और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में मंगलवार की सुबह एक कम दबाव का क्षेत्र बना. मौसम विश्लेषकों का अनुमान है कि यह कम दबाव वाला क्षेत्र अगले 24 घंटों में उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने के साथ-साथ और भी अधिक स्पष्ट और तीव्र हो सकता है. इस हलचल से सौराष्ट्र, कच्छ और व्यापक गुजरात क्षेत्र में मौसम की स्थिति पर सीधा असर पड़ने की उम्मीद है. 

पूर्वी भागों पर बंगाल की खाड़ी का साया
दक्षिण-पश्चिम बांग्लादेश और उससे सटे पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों में मंगलवार सुबह एक और कम दबाव का क्षेत्र बना है. यह गठन उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उसके आस-पास के इलाकों में व्याप्त ऊपरी हवा के चक्रवाती परिसंचरण के कारण हुआ है. गुजरात सिस्टम की तरह, इस कम दबाव वाले क्षेत्र के अगले दिन तेज होने और पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने का अनुमान है. इससे पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों, ओडिशा, बिहार और झारखंड सहित पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों पर असर पड़ेगा. 

दोनों दिशाओं से मिलेगी मानसून को मदद
इन दो लो-प्रेशर क्षेत्रों के संयुक्त प्रभाव से मानसून को मदद मिलने की संभावना है. मौसम विभाग का कहना है कि प्रभावित क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा के साथ-साथ भयंकर तूफान और बिजली गिरने की संभावना है. सौराष्ट्र और कच्छ खासतौर पर संवेदनशील क्षेत्र हैं. पूर्वानुमानों के अनुसार अगले 24 घंटों के भीतर अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है. इसी तरह, पूर्वी भारतीय राज्यों जैसे कि गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और झारखंड में भी भारी वर्षा और तूफानी स्थिति का अनुभव होने की उम्मीद है. 

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