ग्रेटर नोएडा के दो अहम प्रोजेक्ट मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब व मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान से जुड़ेंगे. बोड़ाकी के पास बनने वाली इन दोनों परियोजनाओं के मास्टर प्लान को गति शक्ति के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा. इससे दोनों परियोजनाओं को बेहतर तालमेल से जल्द विकसित करने में आसानी होगी. ये दोनों परियोजनाएं डीएमआईसी-आईआईटीजीएनएल के अंतर्गत ही विकसित की जाएंगी.
गति शक्ति नेशनल प्लान के शुभारंभ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा स्थित आईआईटीजीएनएल की इंटीग्रेटेड टाउनशिप, मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक व ट्रांसपोर्ट हब को सराहा था. उन्होंने कहा था कि यह टाउनशिप देश की इंडस्ट्रीज को ऐसी सुविधाएं देने का प्रयास है, जो प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर से युक्त हो. देश व दुनिया के निवेशकों को सिर्फ अपना सिस्टम लगाना है और काम शुरू कर देना है.
यहां मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब बनाया जाएगा
सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व कमिश्नर मेरठ मंडल, सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि भारत के पोर्ट्स एवं अन्य भागों को डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के जरिए टाउनशिप से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए यहां मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब बनाया जाएगा. इसी के बगल में मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब बनेगा, जिसमें स्टेट ऑफ द आर्ट रेलवे टर्मिनल होगा. राज्यीय व अंतरराज्यीय बस अड्डा भी बनेगा. यह मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम से जुड़ेगा. प्रधानमंत्री के इस ऐलान को अमलीजामा पहनाने के लिए कोशिशें तेज हो गई हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्ट व इंडस्ट्रियल लॉजिस्टिक को अलग पहचान देने वाले प्रोजेक्ट मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब व मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब को पीएम गति शक्ति से जल्द इंटीग्रेट किया जाएगा.
न्यू दादरी से लॉजिस्टिक हब तक बनेगी रेलवे लाइन
गौतमबुद्ध नगर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित उद्योगों के उत्पाद व कच्चा माल, कृषि उत्पाद देश के कोने-कोने से औद्योगिक उत्पाद आसानी से मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब तक पहुंच सके, इसके लिए डीएफसीसी के न्यू दादरी से मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब तक करीब 5 किलोमीटर लंबी डेडिकेटेड रेलवे लाइन बनाई जाएगी. इसके लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. आईआईटीजीएनएल के नाम जमीन ट्रांसफर होते ही निर्माण के लिए टेंडर जारी हो जाएगा. रेलवे लाइन तैयार करने में दो साल का वक्त लगेगा. इस पर 800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च आएगा. लॉजिस्टिक हब के आंतरिक हिस्से को पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाएगा.
इसके अलावा, यहां कस्टम क्लीयरेंस की भी सुविधा होगी. इससे आयात-निर्यात से जुड़ी इकाइयों के कार्यों में भी तेजी आएगी. नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण के उद्योगों की जरूरत को देखते हुए यह परियोजना बेहद अहम है. मुंबई, गुजरात, कोलकाता आदि जगहों पर यहां से माल जाने-आने में अभी चार से पांच दिन लगते हैं, इसके शुरू होने के बाद माल डेढ़ दिन में देश के किसी भी कोने में पहुंच सकेगा. यह परियोजना तीन साल में तैयार हो जाएगी.
ट्रांसपोर्ट हब बनने से बोड़ाकी से मिलेंगी एक्सप्रेस ट्रेनें
मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के अंतर्गत बोड़ाकी के पास रेलवे टर्मिनल, अंतर्राज्यीय व लोकल बस अड्डा और मेट्रो कनेक्टिविटी की सुविधा विकसित की जाएगी. रेल टर्मिनल बन जाने के बाद पूर्वी भारत की ओर जाने वाली अधिकतर ट्रेनें यहीं से चलेंगी. गौतमबुद्ध नगर व उसके आसपास के लोगों को एक्सप्रेस ट्रेनें पकड़ने के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा. परिवहन की इन तीन सुविधाओं (रेलवे स्टेशन, बस अड्डा व मेट्रो स्टेशन) को यात्रियों के लिए और सुगम बनाने की कोशिश हो रही है.
1.10 लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार
मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक हब व आईआईटीजीएनएल की इंटीग्रेटेड टाउनशिप में 1.10 लाख युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे. अप्रत्यक्ष रोजगार को भी जोड़ लें, तो रोजगार का यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा. इसमें से एक लाख रोजगार ट्रांसपोर्ट व लॉजिस्टिक हब से और 10 हजार से अधिक रोजगार इंटीग्रेटेड टाउनशिप में लगने वाले उद्योगों में मिलेंगे. बता दें कि करीब 750 एकड़ में एरिया में बसी इंटिग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप देश के सबसे स्मार्ट टाउनशिप में से एक है. प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर बनी इस टाउनशिप में उद्यमी इकाई लगाकर काम शुरू कर सकता है. इस टाउनशिप में छह बड़ी कंपनियां अपना प्लांट लगा रही हैं. इनमें हायर इलेक्ट्रॉनिक्स, फॉर्मी मोबाइल, सत्कृति इंफोटेनमेंट, चेनफेंग (एलईडी कंपनी), जे वर्ल्ड इलेक्ट्रॉनिक्स और गुरु अमरदास इंटरनेशनल शामिल हैं. ये कंपनियां 4000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही हैं और करीब 10 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार देंगी.
सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व कमिश्नर मेरठ मंडल, सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब व लॉजिस्टिक हब दो ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिनके पूरा होने से न सिर्फ गौतमबुद्ध नगर, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आर्थिक व परिवहन ढांचे में बदलाव दिखेगा. युवाओं को रोजगार मिलेंगे. उद्यमियों के उत्पाद समय से गंतव्य तक पहुंच सकेंगे. कृषि उपज भी देश के कोने-कोने में बहुत कम समय में पहुंच सकेगा. किसानों से जमीन प्राप्त कर इन दोनों परियोजनाओं को शीघ्र शुरू कराने की कोशिश की जा रही है. गति शक्ति से जुड़ने से इन परियोजनाओं को और तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी.