कई बार मेडिकल सर्टिफिकेट न होने से रेप केस में पीड़ित का पक्ष कमजोर पड़ जाता है और आरोपी रिहा हो जाता है. लेकिन हाल ही में एक रेप केस पर फैसला सुनाते हुए मुंबई कोर्ट ने कहा कि मेडिकल सर्टीफिकेटे के आभाव में केस को टाला नहीं जा सकता है और न ही पीड़िता की शिकायत को अनदेखा किया जा सकता है.
सेशन कोर्ट का कहना है कि मेडिकल सर्टिफिकेट न होने से पीड़िता की गवाही को झुठलाया नहीं जा सकता है. इसलिए एक रेप केस के मामले में कोर्ट ने एक 28 वर्षीय कुक को 12 साल कैद की सजा सुनाई है. बताया जा रहा है कि इस कुक ने अपनी एक 19 वर्षीया नयी सहकर्मी का रेप किया है.
पीड़िता दूसरे राज्य से मुंबई काम करने आई थी. और वह सिर्फ अपनी मातृभाषा में बात कर सकती है. इसलिए पुलिस ने ट्रांसलेटर की मदद ली.
मेडिकल अफसर ने नहीं किया टेस्ट:
एडिशनल सेशन जज संजाश्री घरात ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़िता की उसकी शिकायत के बावजूद मेडिकल अफसर ने रेप के लिए जांच नहीं की. इसलिए इसमें पीड़िता की गलती नहीं है.
और केस की सुनवाई के दौरान डिफेन्स पीड़िता की गवाही को झुठला नहीं पाए इसलिए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी गई.