साइबर अपराधी (Cyber Fraud) लोगों को ठगने के नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं. सरकार लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है लेकिन ये सारी कोशिशें फिलहाल बेकार नजर आ रही हैं. तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizens) सबसे ज्यादा इसके निशाने पर हैं. ताजा मामला गुजरात के सूरत से सामने आया है, जहां पॉलिसी मैच्योर करवाने के नाम पर बुजुर्ग से 98 लाख रुपये की ठगी की गई है.
पॉलिसी के नाम पर सीनियर सिटीजन से ठगी
सूरत साइबर क्राइम सेल ने सीनियर सिटीजन को ठगने वाले दो साइबर अपराधियों अमित कुमार और सुमित कुमार को गिरफ्तार किया है. ये अपराधी दिल्ली के रहने वाले हैं. ये दोनों पहले भी इसी तरह के मामलों में पकड़े जा चुके हैं और डिजिटल तरीके से कई बुजुर्गों को अपना शिकार बना चुके हैं.
पकड़े गए दोनों आरोपी
जांच के दौरान सामने आया कि ये दोनों ठग सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई सीनियर सिटीजन को इसी तरीके से फंसाकर ठग चुके हैं. पुलिस ने उनके बैंक स्टेटमेंट्स और कॉल डिटेल्स खंगाले तो और भी पीड़ितों की जानकारी सामने आई. इसके बाद एक अन्य सीनियर सिटीजन को बुलाकर पूछताछ की गई, और उनकी शिकायत दर्ज कर इन आरोपियों को दूसरे केस में भी अरेस्ट किया गया है.
सूरत साइबर सेल की एसीपी श्वेता डेनियल ने बताया कि "एक महीने पहले पॉलिसी फ्रॉड का केस दर्ज हुआ था. आरोपी फोन करके पॉलिसी के नाम पर रकम मंगवाते थे. शुरुआती जांच में 98 लाख की ठगी सामने आई है. अब इनसे जुड़ी पूरी गैंग की तलाश की जा रही है."
कैसे की गई ठगी
दरअसल साइबर ठगों ने सूरत निवासी एक बुजुर्ग को कॉल कर कहा कि उनकी बीमा पॉलिसी मैच्योर हो चुकी है और रकम पाने के लिए उन्हें कुछ प्रोसेसिंग फीस जमा करनी होगी. इस झांसे में आकर सीनियर सिटीजन ने लगातार अलग-अलग खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी. जब उन्हें शक हुआ, तब तक वे 98 लाख रुपये गंवा चुके थे.
कैसे होता है पॉलिसी फ्रॉड?
पॉलिसी फ्रॉड में साइबर ठग लोगों को बीमा से जुड़ी झूठी या गलत जानकारी देकर उनके पैसे ठगते हैं. ये फ्रॉड अक्सर फोन कॉल, ईमेल या फेक वेबसाइट्स के जरिए किया जाता है. इसमें अपराधी खुद को बीमा कंपनी का कर्मचारी बताकर कॉल करते हैं और कहते हैं कि "आपकी पॉलिसी मैच्योर हो चुकी है, आपको बड़ा अमाउंट मिलेगा. इसके बाद वे कहते हैं कि पैसा पाने के लिए आपको कुछ प्रोसेसिंग चार्ज, GST, TDS या क्लेम चार्ज देना होगा. लोग उनकी बातों में आकर छोटे-छोटे किस्तों में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं."
पॉलिसी फ्रॉड से कैसे बचें?
कभी भी अनजान कॉल पर भरोसा न करें.
इंश्योरेंस कंपनी से सीधे संपर्क करें, कॉल पर दी गई बातों को वेरिफाई करें.
कोई भी OTP, बैंक डिटेल या डॉक्यूमेंट फोन पर किसी को न दें.
IRDAI (बीमा नियामक) की वेबसाइट पर जाकर कंपनी को वैरिफाई करें.
अगर ठगी हो जाए तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराएं.
इनपुट- संजय सिंह राठौर