Children's Day : चाचा नेहरू कहते थे-आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे, जानें बच्चों के क्या-क्या है अधिकार

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था. जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे. बच्चे भी उन्हें चाचा नेहरू के नाम से बुलाते थे. इसलिए उनके सम्मान में हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

बच्चों के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू (फाइल फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:11 AM IST
  • भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था
  • पंडित नेहरू के सम्मान में हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था. जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे. बच्चे भी उन्हें चाचा नेहरू के नाम से बुलाते थे. इसलिए उनके सम्मान में हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. चाचा नेहरू कहा करते थे कि आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे, हम जितनी बेहतर तरह से बच्चों की देखभाल करेंगे राष्ट्र निर्माण भी उतना ही बेहतर होगा. नेहरू ने विशेष रूप से बच्चों के लिए स्वदेशी सिनेमा बनाने के लिए 1955 में चिल्ड्रेन्स फिल्म सोसाइटी इंडिया की स्थापना की. 1964 से पहले भारत 20 नवंबर को बाल दिवस मनाता था. यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता था. 1964 में पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद यह निर्णय लिया गया कि उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाए. बाल दिवस पर स्कूल आदि में तमाम प्रतियोगिताओं, संगीत और नृत्य प्रदर्शन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है. बाल दिवस की शुरुआत किए जाने का असल मकसद बच्चों की जरूरतों को पहचानना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और उनके शोषण को रोकना है, ताकि बच्चों का समुचित विकास हो सके. बाल दिवस की पूर्व संध्या पर हम आपकों बता रहे हैं कि बाल दिवस पर बच्चों के क्या-क्या है अधिकार.

हर बच्चे को जिंदा रहने का है मौलिक अधिकार 
हर बच्चे को जिंदा रहने का मौलिक अधिकार है. इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य पर है. बिना भेदभाव के हर अधिकार बच्चे के लिए लागू होंगे. यह हर राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को किसी भी तरह के भेदभाव से बचाए.उनके अधिकारों को बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाए. बच्चों को आगे बढ़ाने की पहली जिम्मेदारी मां-बाप दोनों पर है.राज्य इस काम में उन्हें सहारा देगा. बच्चे को उच्चतम स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधा पाने का अधिकार है. हर बच्चे को अच्छा जीवन स्तर पाने का अधिकार है.अक्षम बच्चे को विशेष देखभाल, शिक्षा, प्रशिक्षण पाने का अधिकार है. बच्चे को नशीली दवाओं,मादक पदार्थों के उपयोग से बचाए जाने का अधिकार है. राज्य बच्चे को इन दवाओं,नशीले पदार्थों के बनाने व बेचने से बचाएगा. हर बच्चे को शिक्षा पाने का अधिकार है.राज्य का यह कर्तव्य है कि वह बच्चे के लिये प्राथमिक स्तर की शिक्षा निःशुल्क व अनिवार्य करे. बच्चे को छुट्टी, खेलकूद तथा कलात्मक,सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है. बच्चे को ऐसा माहौल प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी है.राज्य का यह कर्तव्य है वह बच्चों को हर तरह के दुर्व्यवहार से बचाए.समाज के अनाथ बच्चों को सुरक्षा पाने का अधिकार है.बच्चों को ऐसे कामों से बचाये जाने का अधिकार है जो उसके स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास को हानि पहुंचाए. किसी बच्चे को बेचना, अपहरण करना या जबरन काम करवाना कानूनी अपराध है.राज्य की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को इससे बचाए.राज्य की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को यौन अत्याचारों,वेश्यावृत्ति आदि से बचाए.बच्चे को कठोर दंड, यातना, गैर कानूनी कैद नहीं दी जा सकती.बाल कैदियों के साथ क्रूरता,कठोरता का व्यवहार नहीं होना चाहिए.


 

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