Parliament Monsoon Session: आखिर संसद में कब और क्यों होती है बहस, वर्तमान राजनीति में यह कितना सार्थक, क्या सरकार को बैकफुट पर ला सकती है लोकसभा और राज्यसभा की Debate

संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है. लोकसभा और राज्यसभा में पक्ष और विपक्ष के सांसद एक-दूसरे से हर दिन बहस कर रहे हैं. आखिर सांसद क्यों करते हैं बहस? वर्तमान राजनीति में यह बहस कितना सार्थक? क्या किसी सरकार को बैकफुट पर ला सकती है लोकसभा और राज्यसभा की बहस? आज हम आपको इन्हीं सवालों का जवाब दे रहे हैं.  

Parliament Monsoon Session (Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST
  • 21 अगस्त 2025 तक चलेगा संसद का मॉनसून सत्र
  • पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक के कारण कई बार संसद की कार्यवाही करनी पड़ी है स्थगित

संसद का मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) जारी है. पक्ष और विपक्ष में पहले ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जोरदार बहस हुई. अब बिहार में मतदाता सूची संशोधन यानी SIR के मुद्दों पर बहस जारी है.

इस मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के नारेबाजी करने और बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक होने के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी है. आखिर संसद में कब और क्यों बहस होती है? वर्तमान राजनीति में यह कितना सार्थक है? क्या किसी सरकार को बैकफुट पर ला सकती है लोकसभा और राज्यसभा की बहस? संसद में बहस के बाद क्या होता है? क्या बहस निरर्थक होती है? इन सारे सवालों का जवाब हम आज आपको दे रहे हैं. 

संसद में कब होती है बहस 
1. संसद में बहस तब होती है जब सरकार कोई नया बिल लेकर आती है. 
2. संसद में किसी नीति या मुद्दे पर बहस होती है. 
3. संसद में किसी राष्ट्रीय संकट पर भी बहस होती है. 
4. संसद में जनता से जुड़े सामाजिक और आर्थिक मामले पर बहस होती है.
5. संसद में बहस के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के प्रतिनिधि किसी मुद्दे पर अपना-अपना पक्ष रखते हैं.

संसद में क्यों होती है बहस 
1. हमारे देश में लोकतंत्र है. संसदीय शासन व्यवस्था है. जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि और सरकार संसद के प्रति जिम्मेदार होती है. 
2. सरकार को संसद में पूछे गए सवालों का जवाब देना होता है. इस सवाल और जवाब के दौरान पक्ष और विपक्ष के सांसदों में जोरदार बहस होती है. 
3. संसद में बहस को करने का मुख्य उद्देश्य होता है, सरकार की नीति, नया बिल या किसी और मुद्दों से देश की जनता को अवगत कराना और सरकार को जिम्मेदार बनाना होता है. 
4. लोकसभा और राज्यसभा में बहस के दौरान विपक्षी पार्टियों के सांसद सरकार के फैसले पर सवाल खड़े करते हैं और उसके कमजोर पक्ष की ओर सरकार का ध्यान दिलाते हैं, ताकि उस कमजोरी को सरकार दूर करे. 
5. जब संसद में किसी नए बिल पर चर्चा होती है तो पक्ष और विपक्ष उस बिल के स्वरूप पर विस्तार से बात करते हैं. उसके बाद बिल की अच्छाई और कमियों पर चर्चा होती है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जब बिल कानून का रूप ले तो वह पूरी तरह उपयोगी और बिना त्रुटि के हो. 
6. संसद में किसी बिल को पास करते समय मतदान भी होता है. इससे यह पता चलता है कि कितने सांसद उस बिल के पक्ष में और कितने एमपी विपक्ष में हैं.

क्या होता है संसद में बहस के बाद 
1. संसद में जब किसी विधेयक पर बहस होती है तो निर्णय परिस्थितियों के अनुसार होता है. 
2. संसद में किसी विधेयक पर चर्चा हो रही हो और विपक्षी सांसद उसमें कुछ संशोधन का सुझाव देते हैं. 
3. आइडिल स्थिति यह है कि सरकार विपक्ष के संशोधनों को स्वीकारे और उसके अनुसार बिल में संशोधन करे. हालांकि कई बार ऐसा नहीं भी होता है. सरकार सिरे से विपक्ष की मांग को अस्विकार कर देती है.
4. यदि संसद में किसी मुद्दे या बिल पर बहस हो रही है तो बहस के बाद अंत में संबंधित मंत्री या प्रधानमंत्री का जवाब होता है और उसके बाद बहस समाप्त हो जाती है. 

क्या सार्थक होती है संसद की बहस 
संसद में की गई बहस हमेशा सार्थक होती है. चूंकि संसद में देश के हर लोकसभा क्षेत्रों से चुनकर जनप्रतिनिधि आते हैं. सांसद संसद में जिस भी मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं, वह जनता की बात होती है. इसके बाद सरकार को यह तय करना होता है कि वह जनता के हित में निर्णय ले. संसद में जब पक्ष और विपक्ष के सांसद किसी मुद्दे पर बहस के दौरान एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं तो इस मुद्दे के बारे में देश की जनता को जानकारी मिलती है.

इस बहस के दौरान कई ऐसी बातें सामने आती हैं, जो शायद बहस न हो तो जनता के सामने आए ही नहीं. बहस के दौरान अच्छाई और खराबी दोनों सामने आती हैं. बहस के दौरान यह भी पता चलता है कि किसी मुद्दे पर सरकार की नीति क्या और विपक्ष क्या चाहता है? कई बार मामले की गंभीरता से सरकार और विपक्ष के रुख में परिवर्तन भी होता है. कई बार लोकसभा और राज्यसभा की बहस सरकार को बैकफुट पर भी ला देती है.

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बहस कितना सार्थक
संसद में देश की आजादी के बाद के बहस के और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में जो बहस हो रहा है, उसमें जमीन और आसमान का अंतर हो गया है. पहले जब संसद में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता या कोई और वरिष्ठ नेता अपनी बात रखते थे तो पूरी संसद उनकी बात ध्यान से सुनती थी. इस दौरान न पक्ष के और न विपक्ष के सांसद हो-हल्ला करते थे. वर्तमान समय में स्थिति यह हो गई है कि चाहे पीएम अपनी बात रखें या नेता प्रतिपक्ष अपना पक्ष रखें, संसद में शांति होती ही नहीं है. हो-हंगामा और नोंकझोक होते रहता है. आज संसद में सांसद देश हित के मुद्दों पर अपनी दलीय राजनीति के आधार पर बात करते हैं. ऐसा करना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. 


 

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