सेनेटरी पैड को लेकर देश भर में अब जागरूकता बढ़ रही है. सालों से इसको लेकर तरह-तरह की मुहिमें चलाई जा रही थीं. लेकिन अब ये शहरों से लेकर गांवों तक में इस्तेमाल किया जाने लगा है. पीलीभीत के एक गांव की ग्रामीण महिलाओं सेनेटरी पैड बना रही हैं. इन महिलाओं के सेनेटरी पैड को अब अमेजन पर भी खरीदा जा सकता है. गांव में बिकने बाला पैड शहर के बाजार और ऑनलाइन मार्केट तक पहुंचाने का काम यहां के जिला अधिकारी पुलकित खरे ने किया है. पैड ही नहीं जिलाधिकारी के निर्देश के बाद से महिलाओं के समूह ने दूसरे जो भी प्रोडक्ट बनाए हैं, उन्हें धीरे-धीरे ऑनलाइन मार्केट में लाया जा रहा है.
बहुत कम दाम में बिक रहे हैं पैड
वैसे तो मार्केट में इतनी सारी कंपनियों के तरह-तरह के पैड बिक रहे हैं, कि इन गांव की महिलाओं के बनाए गए पैड का बिकना काफी मुश्किल है. आज कल बाजार में तरह-तरह के पैड आते हैं, ऐसे में इन महिलाओं के पैड को ब्रांड बनाना काफी मुश्किल है. इसको ध्यान में रखते हुए बाजार में बिकने वाले पैड की तुलना में ये पैड काफी सस्ते मिलेंगे. जिसको आप आसानी से अमेजन से ऑर्डर कर सकते हैं.
न्यूरिया गांव में महिला संगठन पहचान उन्नति ग्राम संगठन की महिलाएं सेनेटरी पैड बनाने का काम कर रही हैं. संगठन की महिलाओं के बनाए गए सेनेटरी पैड अब अमेजन पर लिस्ट हो गए हैं. इन महिलाओं का बनाया हुआ पहला लॉट अब ऑनलाइन मार्केट में बिकने लगा है. इस समूह ने 6 महीने पहले पैड बनाने की पैकिंग मशीन और पैड सेनेटाइज करने की मशीन लगाई थी. इसमें 10 समूह की महिलाएं काम करती है. स्कूल,अस्पतालों, मेडिकल स्टोरों, आईएमए से समन्वय स्थापित कर समूह के उत्पाद की बिक्री बढ़ाई जा रही है. ये महिलाएं खुद बाजार में अपने प्रोडक्ट को लेकर जाती है. गांव की दुकान के आगे शहर के बाजार के बाद ऑनलाइन बिक्री तक इस प्रोडक्ट को जिलाधिकारी पुलकित खरे ले गए.
महिलाओं को मिल रहा जिलाधिकारी का सपोर्ट
जिला अधिकारी पुलकित खरे के खास निर्देश है कि गांव की महिलाएं जो सरकार द्वारा मदद लेकर जो भी प्रोडक्ट बनाती है, उनको बाजार मिले और ये सारे प्रोडक्ट लोगों तक ऑनलाइन भी पहुंचाए जा सकें. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत इस समूह ने सबसे पहले अपने प्रोडक्ट इस सेनेटरी पैड को ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया. अमेजन पर बहुत सारा स्टॉक अब तक बेचा भी चुका है. जिला अधिकारी ने खुद इनके पास आकर इन सभी महिलाओं को हौशला बढ़ाया और सम्मान भी किया.
ये महिलाएं खुद हैं यहां के मालिक
इन महिलाओं को अब बहुत सारा काम मिलने लगा है. ये सभी महिलाएं घर का काम खत्म कर के, इस कारखाने में आती हैं. दो तीन घंटे यहां काम करती है. ये महिलाएं खुद यहां की मालिक है. इस लिये अभी मात्र 100-100 रुपये मेहनताना लेती है. यहां 10-10 या 11-11 महिलाएं बारी-बारी से काम करने आती है. काम लगातर बढ़ता जा रहा है. मौके पर 7 समूह की 110 महिलाएं जुड़ी है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की अंतर्गत 7 महिला समूह को अलग अलग 1 लाख 10 हजार रुपये दिए गये थे. इन सभी समूहों के 7 लाख 70 हजार रुपये इकट्ठा कर इस कारखाने को खोला गया है. जिससे इन महिलाओं को नया रोजगार मिल गया है.
(पीलीभीत से सौरभ पांडे की रिपोर्ट)