
अक्सर सुनने को मिलता है कि दादा और नाना की बारात बैलगाड़ी से गई थी. जिसमें ससुराल पहुंचने में कई दिनों का सफर तय करना पड़ा था. वर्तमान समय में अगर कोई यह कहे कि किसी की बारात बैलगाड़ी में जाएगी तो लोगों को मुश्किल से विश्वास होगा. लेकिन कई वर्षों बाद पुरानी परंपरा से निकली एक बारात इलाके में चर्चा विषय बन गई है. बारात जिस गांव और चौराहे से निकली वहां लोग इस बरात को देखने के लिए अपने-अपने घरों से बाहर आ गए.
आज के दौर में जहां दूल्हा पक्ष के लोग लग्जरी गाड़ियों और हैलीकॉप्टर तक में दुल्हन के दरवाजे तक बारात लेकर पहुंच रहे हैं, ऐसे में जालोर के रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के कूड़ा गांव में एक दूल्हा बैलगाड़ी में बारात लेकर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंच गया. अब कौतूहल तो होना ही थी. इस बारात को देखने लोगों की भीड़ लग गई.
दुल्हन को बैलगाड़ी पर लाने पहंचे दूल्हे राजा
दूल्हा दलपत कुमार देवासी बारातियों को बैलगाड़ी, और ऊंटों पर बैठाकर दुल्हन के घर जा पहुंचा. इस दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान लोग अपने मोबाइल में बैलगाड़ी के साथ सेल्फी लेते भी नजर आए. दूल्हे दलपत का कहना है कि उसने अपनी पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का ठाना था.
साथ ही, देश मे पेट्रोल ओर डीजल के भाव तरह बढे है उसके लिए यह कम खर्च मे पुरानी संस्कृति का बैलगाड़ी पर बैठकर जाना सस्ता पडता है. हमारे बाप दादा पूर्वज इस तरह बैलगाड़ी पर बैठकर बारात ले जाया करते थे.
बैलगाड़ी को आकर्षक ढंग से सजाया गया. बैलगाड़ी ने 4 किलोमीटर का सफर तय करते हुए सेवाडा गांव में प्रवेश किया. दुल्हन हीना कुमारी के पिता बालका राम ने बैलगाड़ी में आई बारात का स्वागत किया. इसके बाद विधि विधान से दलपत ओर हीना का विवाह संपन्न हुआ.
बैलों के गले में बंधी थी घंटी
बारात की बैलगाड़ी को खींच रहे बैलों के गले में घंटियां बांधी गई थी. ऐसे में घंटियों की रुन-झुन के साथ यह अनोखी बारात लोगों के लिए कौतूहल का भी विषय बन गई. लोग इसे देखने में सहज आनंद की अनुभूति कर रहे थे. कुई बुजुर्गों को अपने विवाह की शुभ बेला याद आ गई.
(नरेश बिश्नोई की रिपोर्ट)