President question to SC: राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे 14 सवाल, क्या बिल के लिए डेडलाइन तय कर सकता है कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 200 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधानसभाओं के पारित विधेयकों पर फैसला लेने के लिए 3 महीने की समय सीमा तय की. अब इसको लेकर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे हैं.

President Draupadi Murmu
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधानसभाओं के पारित विधेयकों पर फैसला लेने के लिए समय सीमा तय किया है. इस फैसले पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सवाल उठाया है. राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को 14 सवाल भेजे हैं और कोर्ट की राय मांगी है. राष्ट्रपति ने इस फैसले को संवैधानिक मूल्यों और सिस्टम के विपरीत बताया है और इसे संवैधानिक सीमाओं का अतिक्रमण बताया है. राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 143 के तहत पूछा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 200 के तहत 3 महीने की समय सीमा तय कर सकता है, जबकि संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.

राष्ट्रपति के 14 सवाल-
राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 143(1) के तहत 14 सवालों पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी है. यह प्रावधान राष्ट्रपति क कानून या तथ्य के प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगने की अनुमति देता है. चलिए आपको बताते हैं कि राष्ट्रपति ने 14 सवालों पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी है.

  • 1. अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास विधेयक आता है तो क्या संवैधानिक विकल्प होते हैं?
  • 2. क्या राज्यपाल कैबिनेट की सलाह और मदद के लिए बाध्य है?
  • 3. क्या अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है?
  • 4. क्या अनुच्छेद 361 राज्यपाल के फैसले पर न्यायिक समीक्षा को पूरी तरह रोक सकता है?
  • 5. संविधान में राज्यपाल के लिए समय सीमा तय नहीं है. क्या कोर्ट इसे तय कर सकता है?
  • 6. क्या राष्ट्रपति के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
  • 7. क्या राष्ट्रपति के फैसलों पर भी कोर्ट समय सीमा तक कर सकती है?
  • 8. क्या राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट से राय लेना अनिवार्य है?
  • 9. क्या राष्ट्रपति और राज्यपाल के फैसलों पर कानून लागू होने से पहले अदालत सुनाई कर सकती है?
  • 10. क्या सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर राष्ट्रपति या राज्यपाल के फैसले को बदल सकता है?
  • 11. क्या राज्य विधानसभा में पारित कानून, अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की स्वीकृति के बिना लागू किया जा सकता है?
  • 12. क्या संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों को भेजना अनिवार्य है?
  • 13. क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे निर्देश/आदेश दे सकता है, जो संविधान या वर्तमान कानून से मेल न खाता हो?
  • 14. क्या केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुलझा सकता है?

क्या सुप्रीम कोर्ट सलाह देने के लिए बाध्य है?
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक संविधान विशेषज्ञ ने बताया कि राम मंदिर विवाद पर नरसिम्हा राव सरकार के रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के मामलों में राय देना अनुच्छेद 142 के दायरे में नहीं आता. साल 1993 में कावेरी जल विवाद पर भी कोर्ट ने इनकार कर दिया था. साल 2002 में गुजरात चुनावों के मामलों में कोर्ट ने कहा था कि अपील या पुनर्विचार याचिका की बजाय रेफरेंस भेजने का विकल्प गलत है.

राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट राय मानने को बाध्य है?
रिपोर्ट के मुताबिक संविधान विशेषज्ञ ने बताया कि संविधान के प्रावधान और कई फैसलों से यह भी साफ है कि अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट की राय राष्ट्रपति और केंद्र सरकार पर बाध्यकारी नहीं है.

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