द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. वे देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गई हैं. चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने पद की शपथ दिलाई. इस मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी मौजूद रहे. द्रौपदी मुर्मू देश की पहली राष्ट्रपति भी बनी हैं. जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है.
देश के नाम पहला संबोधन-
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मेरा जन्म ओडिशा के एक आदिवासी गांव में हुआ है. लेकिन देश के लोकतंत्र की यह शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया. उन्होंने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश आजादी का 50वां पर्व मना रहा था तब मेरा राजनीतिक जीवन शुरू हुआ था और आज आजादी के 75वें साल में मुझे नया दायित्व मिला है.
द्रौपदी मुर्मू ने बताई गांव की कहानी-
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बताया कि मैंने अपनी यात्रा ओडिशा के एक छोटे से गांव से शुरू किया था. मेरे गांव में प्रारंभिक शिक्षा पाना भी सपने जैसा ही था. उन्होंने बताया कि वो कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की थीं. राष्ट्रपति ने कहा कि ये लोकतंत्र की शक्ति है कि एक गरीब घर में पैदा हुई लड़की भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है.
गरीब भी सपने पूरा कर सकता है- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को अपने पहले संबोधन में कहा कि राष्ट्रपति बनना मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है. ये भारत के हर गरीब की उपलब्धि है. मेरा चुना जाना इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख सकता है और उनको पूरा कर सकता है. उन्होंने कहा कि जो लोग सालों से विकास से वंचित थे. गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी मुझे प्रतिबिंब के तौर पर देख सकते हैं. मेरे नामांकन के पीछे गरीबों का आशीर्वाद है. ये करोड़ों महिलाओं के सपनों और क्षमताओं का प्रतिबिंब है.
कोरोना की 200 करोड़ डोज की रिकॉर्ड बनाया-
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भारत ने जैसा सामर्थ्य दिखाया है. उसने पूरी दुनिया में भारत की साख बढ़ाई है. उन्होंने कहा कि भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज लगाने का कीर्तिमान बनाया है. इस लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस साहस और संयम का परिचय दिया, वो एक समाज के तौर पर हमारी बढ़ती शक्ति का प्रतीक है.