दिल्ली में हर कोई मानसून की पहली बारिश का इंतजार कर रहा है. आसपास के कई इलाकों में झमाझम बारिश हो चुकी है, लेकिन दिल्ली-NCR के लोग अब भी दो बूंद बारिश को तरस रहे हैं. बुधवार तक बादल जरूर छाए रहे, पर गुरुवार से तेज धूप लौट आई और शुक्रवार को तो हालात और बिगड़ गए. तेज धूप के साथ 60% से ज्यादा नमी ने दिल्लीवासियों को बेहाल कर दिया है. घर के बाहर तो मुश्किल है ही, अब तो घर के अंदर भी उमस ने लोगों की हालत खराब कर दी है.
जब मानसून आया ही नहीं, तो इतनी नमी क्यों?
मानसून दिल्ली तक नहीं पहुंचा है, लेकिन उसकी नमी भरी हवाएं यहां तक पहुंच चुकी हैं. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली ये दक्षिण-पूर्वी हवाएं भारी मात्रा में जलवाष्प (वॉटर वेपर) लेकर आती हैं. इससे हवा में नमी का स्तर 70% से लेकर 90% तक पहुंच रहा है लेकिन बारिश के बिना राहत नहीं मिल पा रही.
मौसम का बदलता मिजाज भी जिम्मेदार
जून के आखिर में दिल्ली का मौसम गर्म और सूखा होता है, जो धीरे-धीरे मानसूनी मौसम में बदलता है. इस दौरान तापमान 40 डिग्री के करीब रहता है, जिससे हवा में नमी समेटने की क्षमता बढ़ जाती है. ऊपर से पश्चिमी शुष्क हवाओं की जगह जब नम दक्षिण-पूर्वी हवाएं चलती हैं, तो वातावरण और ज्यादा नम हो जाता है.
कम दबाव और हवा का टकराव भी बना रहा चिपचिपी हवा
आईएमडी के अनुसार, मानसून ट्रफ दिल्ली के करीब है, जिससे नम हवाओं का आपस में टकराव हो रहा है. बारिश ना होने की स्थिति में यह नमी जमीन पर ही अटक जाती है और हवा और ज्यादा चिपचिपी हो जाती है.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में इस बार समुद्री सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा है. इसका असर मानसून की नमी पर पड़ रहा है. कमजोर अल-नीनो और ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थितियां भी इस बदलाव को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे दिल्ली की ओर आने वाली हवाएं और ज्यादा नम हो गई हैं.
उमस के पीछे ये कारण भी हैं जिम्मेदार
दिल्ली में लगातार हो रहे निर्माण, सीमेंट, कंक्रीट और सड़कों की भरमार ने शहर को गरमा दिया है. ये सतहें सूरज की गर्मी को सोखती हैं और देर तक छोड़ती रहती हैं. इससे नमी भरी हवा और ज्यादा गर्म होकर चिपचिपी बन जाती है.
पेड़ हवा को ठंडा करने और वाष्पोत्सर्जन के जरिए नमी संतुलित करने में मदद करते हैं लेकिन शहर में हरियाली घटने से ये प्राकृतिक प्रक्रिया थम गई है.
गाड़ियों, फैक्ट्रियों और एसी से निकलने वाली गर्म हवा और वाष्प भी इस नमी को और बढ़ा रहे हैं. भीड़भाड़ और ट्रैफिक ने दिल्ली की हवा को भारी बना दिया है.
फिलहाल इंतजार ही एक रास्ता है
दिल्ली को अब भी मानसून की पहली ठंडी फुहार का इंतजार है. तब तक लोगों को उमस और गर्मी से लड़ते हुए, पानी और ठंडी चीजों का सहारा लेना होगा.