राजनाथ सिंह ने किया PoK वाली मां शारदा का जिक्र, जानिए क्या है पीठ की कहानी

पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि जब भगवान शंकर ने मां सती को गोद में उठाकर तांडव किया था, तब सती का दाहिना हाथ इसी पर्वतराज हिमालय की तराई कश्मीर में गिरा था.

मां शारदा पीठ
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST
  • शंकराचार्य और रामानुजाचार्य ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
  • कश्मीरी पंडितों के लिए धार्मिक स्थल है ये मंदिर

राजनाथ सिंह ने रविवार को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत का हिस्सा बताया था, उन्होंने कहा था कि PoK भारत का हिस्सा है, क्योंकि वहां पर मां शारदा का पीठ है, जिसमें हिंदू देवी सरस्वती के मंदिर के अवशेष हैं. उन्होंने आगे कहा कि शिव स्वरूप (अमरनाथ) जम्मू-कश्मीर के इस तरफ रहें और पीओजेके की तरफ शक्ति स्वरूप (शारदा) रहें, यह कैसे हो सकता है." जिस देवी शारदा के पीठ की बात रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में चलिए आपको उसकी कहानी बताते हैं. 

मंदिर को लेकर पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान शंकर ने जब सती के शव को लेकर तांडव किया था, तो उसमें सती का दाहिना हाथ इसी पर्वतराज हिमालय की तराई कश्मीर में गिरा था. माना जाता है कि यहां देवी का दायां हाथ गिरा था. कश्मीरी पंडितों के लिए ये तीन प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. बाकी दो अनंतनाग में मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ मंदिर है. 

कश्मीरी पंडितों के लिए धार्मिक स्थल है ये मंदिर
शारदा पीठ मंदिर का आस्था के साथ काफी धार्मिक महत्व भी है. एक समय ऐसा भी था जब इस जगह को शिक्षा का प्रमुख केंद्र माना जाता था. शारदा पीठ मुजफ्फराबाद से लगभग 140 किलोमीटर और कुपवाड़ा से करीब 30 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास नीलम नगीं के तहत पर स्थित है. इसके बारे में कहा जाता है कि महाराजा अशोक ने 237 ईसा पूर्व में इसे बनवाया था. एक समय ऐसा था, जब इस मंदिर पर कश्मीरी पंडितों सहित देशभर के लोग यहां दर्शन करने आते थे. लेकिन पिछले 70 सालों से इस मंदिर में पूजा नहीं हुई है.

शंकराचार्य और रामानुजाचार्य ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
ये मंदिर विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित है. एक समय ऐसा था जब शारदा पीठ भारत उपमहाद्वीप में सर्वश्रेष्ठ मंदिर विश्वविद्यालयों में से एक था. ऐसा भी कहा जाता है कि शैव संप्रदाय के जनक कहे जाने वाले शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य यहां पर आए थे, और दोनों ने यहां महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी. 

आखिरी बार 19वीं सदी में हुई थी मरम्मत
14वीं शताब्दी के तक कई बार प्राकृतिक आपदाओं के कारण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था. बाद में विदेशी आक्रमणों में भी इसको काफी नुकसान हुआ. इस मंदिर की आखिरी बार मरम्मत 19वीं सदी के महाराज गुलाब सिंह ने कराई थी.

मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता
माना जाता है कि शारदा पीठ शाक्त संप्रदाय को समर्पित प्रथम तीर्थ स्थल है. कश्मीर के इस मंदिर में सर्वप्रथम देवी की आराधना शुरू हुई थी. यहां तक की खीर भवानी और वैष्णो देवी मंदिर की भी स्थापना इसके बाद हुई थी. कहते हैं कि शारदा पीठ में पूजी जाने वाली मां शारदा तीन शक्तियों का संगम है. पहली शारदा (शिक्षा की देवी) दूसरी सरस्वती (ज्ञान की देवी) और वाग्देवी (वाणी की देवी).

 

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