Sahitya AajTak 2025: कोई भी सीरीज वो फीलिंग नहीं दे सकती, जो किताबों से आती हैं- स्मृति नौटियाल

दिल्ली में आजतक के सालाना लिटरेचर फेस्टिवल साहित्य आजतक 2025 में अभिनेत्री और रिव्यूअर नमिता दुबे और समीक्षक स्मृति नौटियाल ने शिरकत की. नमिता दुबे ने कहा कि किताबों से मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा. स्मृति नौटियाल ने कहा कि रीडिंग की हॉबी मेरा पैशन कब बन गई, मुझे पता ही नहीं चला.

Namita Dubey and Smriti Nautiyal (Photo Credits: Amarjeet Kumar Singh)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

दिल्ली में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य आजतक के 8वें संस्करण की शुरुआत हो गई है. पहले दिन स्टेज-2 दस्तक दरबार पर 'किताबी गुफ्तगू..क्योंकि बात करना जरूरी है' सेशन में एक्ट्रेस और रिव्यूअर नमिता दुबे और समीक्षक स्मृति नौटियाल ने शिरकत की. दोनों ने किताबों, कंटेंट रिव्यू समेत आज के बदलते साहित्यिक परिदृश्य पर खुलकर अपनी बात कही.

किताबें पढ़ना जरूरी है- नमिता दुबे
अभिनेत्री समीक्षक नमिता दुबे ने कहा कि किताबों से मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा. अगर आपको किताबों से डर लगता है तो आपने कभी सही किताबें नहीं पढ़ीं. जब तक हम उसे समझेंगे नहीं, पढ़ेंगे नहीं तो पता कैसे लगेगा? किताबें पढ़कर ही खुद को अच्छे से डेवलप कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप अपना कॉलेज खत्म कर लेते हैं तो उसके बाद आपको ये स्ट्रैटेजी बनानी चाहिए कि दो महीने आपको ये किताबें पढ़ना है.

नमिता दुबे ने कहा कि मेरे घर पर अगाथा क्रिस्टी की बुक थी, उसे उठाकर पढ़ना शुरू किया. इसके बाद कुछ और बुक्स पढ़ी. धीरे-धीरे शुरुआत हुई. मेरे बाबा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे हैं. घर में पढ़ाई का माहौल रहा. उन्होंने कहा कि किताबें पढ़ना कभी मत छोड़ो, जो भी नया शब्द मिले, उसे लिखो, जरूरत पड़ने पर उसे यूज करो.

किताबें जो फीलिंग देती हैं, उसे सीरीज नहीं देती- स्मृति
स्मृति नौटियाल ने कहा कि मैं किताबें पढ़ती हूं तो अलग ही दुनिया में ट्रांसपोर्ट हो जाती हूं. किताबों में आप एक-एक कैरेक्टर के बारे में पढ़ रहे होते हैं तो ऑथर आपको वहां ले जाता है. कोई भी सीरीज वो फीलिंग नहीं दे सकती, जो किताबें पढ़कर आती है. रीडिंग सबको करनी चाहिए. 

पहली नॉवेल रोमांस बुक थी- स्मृति नौटियाल
स्मृति नौटियाल ने बताया कि उन्होंने पहली नॉवेल रोमांस बुक पढ़ी थी. उन्होंने कहा कि मेरे 10वीं क्लास में अंग्रेजी और हिंदी में सौ में सौ नंबर आए थे. उसके बाद मुझे समझ में आ गया कि बुक से है तो कुछ. मैं नॉवेल खूब पढ़ने लगी थी. फिर मैंने इंटरनेट पर बुक्स की बातें करनी शुरू की. उन्होंने कहा कि रीडिंग की हॉबी मेरा पैशन कब बन गई, मुझे पता ही नहीं चला. मैं अपने शब्दों को लेकर एक डायरी रखती हूं.

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