इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से 105 एमएम लाइट फील्ड गन्स की गर्जना सुनाई देगी. यह गर्जना न केवल तिरंगे के सम्मान में होगी, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के 100 दिन पूरे होने का भी प्रतीक बनेगी. आइए इस खास कार्यक्रम के बारे में जानते हैं.
स्वतंत्रता दिवस पर 21 तोपों की सलामी
इस बार 15 अगस्त को लाल किले पर स्वदेशी 105 एमएम लाइट फील्ड गन्स से 21 तोपों की सलामी दी जाएगी. यह वही तोपें हैं जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुआ था. ऑपरेशन सिंदूर में इन तोपों ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था. सेना की सेरेमोनियल बैटरी ने इस सलामी के लिए कई हफ्तों तक अभ्यास किया है.
ऑपरेशन सिंदूर के 100 दिन हो रहे पूरे
इस स्वतंत्रता दिवस पर ऑपरेशन सिंदूर के 100 दिन पूरे हो रहे हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने 105 एमएम लाइट फील्ड गन्स का इस्तेमाल कर दुश्मन को करारा जवाब दिया था. इन तोपों की रेंज 17 किलोमीटर से अधिक है और यह हर मिनट छह राउंड फायर कर सकती है. हल्के वजन के कारण इन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से तैनात किया जा सकता है.
स्वदेशी तोपों का इतिहास
साल 2022 तक स्वतंत्रता दिवस पर ब्रिटिश 25 पाउडर गन्स से सलामी दी जाती थी लेकिन साल 2023 से केवल स्वदेशी 105 एमएम लाइट फील्ड गन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह भारत की आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया पहल का प्रतीक है. इन तोपों का निर्माण 1982 में ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड ने किया था.
देवलाली आर्टिलरी म्यूजियम
भारतीय सेना की आर्टिलरी का इतिहास समझने के लिए महाराष्ट्र के देवलाली में स्थित आर्टिलरी म्यूजियम एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहां 500 साल पुराना आर्टिलरी का इतिहास दर्ज है. म्यूजियम में 1368 से लेकर आधुनिक समय तक की तोपों का विकास देखा जा सकता है.
तोपों की सलामी का इतिहास
भारत में तोपों की सलामी की परंपरा ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुई थी. आजादी के बाद यह परंपरा राष्ट्रध्वज के सम्मान में जारी रही. 21 तोपों की सलामी का मानक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय किया गया था.
भारतीय सेना की ताकत और आत्मनिर्भरता
भारतीय सेना की आर्टिलरी ने 1965, 1971 और 1999 के युद्धों में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था. आज भारत अपनी जमीन पर रक्षा उपकरणों का निर्माण कर रहा है, जिससे हमारा आयुध भंडार स्वदेशी आर्टिलरी से लैस हो रहा है. इस स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से 105 एमएम लाइट फील्ड गन्स की गर्जना न केवल भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन करेगी, बल्कि आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक भी बनेगी.