Shri Banke Bihari Temple Trust: श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन के लिए अध्यादेश को मंजूरी, कैसा होगा न्यास? जानें सबकुछ

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन हेतु अध्यादेश जारी किया है. इसके मुताबिक न्यास में 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे. न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी. इसके आयोजन से 15 दिन पहले नोटिस देना होगा.

UP Assembly
समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 13 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बांके बिहारी मंदिर निर्माण आर्डिनेंस को मंजूरी मिल गई. सदन में आज सुबह 11 बजे विकसित भारत, विकसित यूपी विजन डॉक्‍युमेंट 2047 पर लगातार 24 घंटे की चर्चा शुरू हो गई है. इसमें सरकार विभागवार उपलब्धियां और विजन रख रही है, जबकि विपक्ष के सवालों का दौर भी जारी है. सत्र में बांके बिहारी कॉ‍रिडोर आर्डिनेंस विधेयक भी पास हो गया है.

चढ़ावे पर न्यास का अधिकार- 
अध्यादेश स्पष्ट करता है कि मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर न्यास का अधिकार होगा. इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, मंदिर परिसर और प्रसीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट/उपहार, किसी भी पूजा-सेवा-कर्मकांड-समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के समर्थन में दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु रूपी अर्पण, तथा मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक/तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक तक शामिल हैं. मंदिर की संपत्तियों में आभूषण, अनुदान, योगदान, हुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी मंदिर की सभी चल एवं अचल संपत्तियां सम्मिलित मानी जाएंगी.

स्वामी हरिदास की परंपरा पर न्यास का गठन-
सरकार ने कहा है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है. स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही रीति-रिवाज, त्योहार, समारोह और अनुष्ठान बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के जारी रहेंगे. न्यास दर्शन का समय तय करेगा, पुजारियों की नियुक्ति करेगा और वेतन, भत्ते/प्रतिकर निर्धारित करेगा. साथ ही भक्तों और आगंतुकों की सुरक्षा तथा मंदिर के प्रभावी प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी न्यास पर होगी.

न्यास गठन के बाद श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है—प्रसाद वितरण, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, पेयजल, विश्राम हेतु बेंच, पहुंच एवं कतार प्रबंधन कियोस्क, गौशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय, प्रदर्शनी कक्ष, भोजनालय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी.

कैसा होगा न्यास?
न्यास में 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे. मनोनीत सदस्य वैष्णव परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से 3 प्रतिष्ठित सदस्य (जिनमें साधु-संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी सम्मिलित हो सकते हैं) होंगे. सनातन धर्म की परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से 3 सदस्य (उसी श्रेणी के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व) होंगे. सनातन धर्म की किसी भी शाखा/संप्रदाय से 3 सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति/शिक्षाविद/विद्धान/उद्यमी/वृत्तिक/समाजसेवी) होंगे. गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य होंगे. इसमें स्वामी हरिदास जी के वंशज; एक राज-भोग सेवादारों और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि होंगे. सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे. इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा.

पदेन सदस्य में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे. यदि कोई पदेन सदस्य सनातन धर्म को नहीं मानने वाला/गैर-हिंदू हुआ, तो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा.

बैठक, दायित्व और वित्तीय अधिकार-
न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी. इसके आयोजन से 15 दिन पहले नोटिस देना होगा. बोर्ड/सदस्य सद्भावना-पूर्वक किए गए कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराए जाएंगे. न्यास को ₹20 लाख तक की चल/अचल संपत्ति स्वयं खरीदने का अधिकार होगा. इससे अधिक के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी. मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे. यह अध्यादेश मंदिर की धार्मिक परंपरा की रक्षा करते हुए प्रशासन को संस्थागत बनाता है और श्रद्धालुओं को उन्नत अनुभव देने का रोडमैप प्रस्तुत करता है.

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