Uttarakhand-Dharali Cloudburst: उत्तरकाशी में सेना और प्रशासन एकजुट, 500 से ज्यादा लोग बचाए, 112 को देहरादून पहुंचाया  

राज्य सरकार ने 20 करोड़ रुपये की आपदा राहत राशि जारी की और केंद्र सरकार से भी पूरा समर्थन मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री धामी से बात कर हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.  

Uttarakhand-Dharali Cloudburst
gnttv.com
  • उत्तरकाशी ,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में, बादल फटने और भूस्खलन की त्रासदी ने धराली और हर्षिल को तबाह कर दिया है. इस आपदा के बीच भारतीय सेना ने न केवल 500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला, बल्कि संचार सेवाओं को बहाल कर हजारों परिवारों को उनके अपनों से जोड़ा. मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने बताया कि 112 लोगों को हेलीकॉप्टर से देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया है. 

आपदा की भयावहता 
5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने और भूस्खलन से भारी तबाही मची. खीर गंगा नदी के किनारे बसा धराली गांव, जो गंगोत्री के रास्ते में एक प्रमुख पड़ाव है, आधा तबाह हो गया. सड़कें मलबे से पटीं, पुल टूट गए, और बिजली-संचार सेवाएं ठप हो गईं. गंगोत्री में फंसे सैकड़ों तीर्थयात्री और स्थानीय लोग मदद की आस में थे. लेकिन भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, और स्थानीय प्रशासन ने बिना समय गंवाए राहत और बचाव अभियान शुरू किया.  

7 अगस्त को मौसम साफ होने के साथ ही सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. आठ हेलीकॉप्टर, जिनमें चिनूक और एमआई-17 शामिल थे, ने धराली और हर्षिल से लोगों को मातली और देहरादून तक एयरलिफ्ट किया. मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने बताया, "500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित हर्षिल और मातली पहुंचाया गया, जबकि 112 लोगों को देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया."  

अपनों से फिर जुड़े लोग  
इस आपदा में सड़कों और बिजली के साथ-साथ संचार सेवाएं भी पूरी तरह ठप हो गई थीं. फंसे हुए लोगों के परिवार वाले उनकी सलामती की खबर के लिए बेताब थे. लेकिन भारतीय सेना ने अपनी तकनीकी ताकत का लोहा मनवाया. 7 अगस्त को सेना ने सैटेलाइट और रेडियो रिले सिस्टम के जरिए संचार सेवाएं बहाल कीं. फंसे हुए लोगों ने सेना के संचार नेटवर्क और सैटेलाइट इंटरनेट के जरिए अपने परिवारों से बात की. ए

सेना की मानवता और तकनीकी कौशल  
भारतीय सेना ने इस अभियान में न केवल अपनी वीरता दिखाई, बल्कि तकनीकी कौशल का भी परिचय दिया. ड्रोन, ट्रैकर कुत्ते, और अर्थमूविंग उपकरणों का इस्तेमाल कर सेना ने दुर्गम इलाकों में फंसे लोगों को खोजा. मातली में एक अस्थायी हेलीपैड बनाया गया, जिससे बचाव कार्यों में तेजी आई. साथ ही, 125 केवीए का एक जनरेटर देहरादून से चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए हर्षिल पहुंचाया गया, जिसने बिजली आपूर्ति को अस्थायी रूप से बहाल किया.  

सेना के 225 से ज्यादा जवान, इंजीनियर, और मेडिकल टीमें कर्नल हर्षवर्धन के नेतृत्व में दिन-रात राहत कार्यों में जुटी हैं. सेना ने न केवल लोगों को बचाया, बल्कि गंगोत्री में फंसे 180-200 पर्यटकों को खाना, आश्रय, और मेडिकल मदद भी मुहैया कराई.  

राज्य सरकार ने 20 करोड़ रुपये की आपदा राहत राशि जारी की और केंद्र सरकार से भी पूरा समर्थन मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री धामी से बात कर हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.  

500 से ज्यादा लोग सुरक्षित निकाले जा चुके 
हालांकि 500 से ज्यादा लोग सुरक्षित निकाले जा चुके हैं, लेकिन 50 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं, जिनमें 11 सैनिक भी शामिल हैं. मलबे के 50-60 फीट ऊंचे ढेरों ने बचाव कार्यों को और जटिल बना दिया है. सड़कों की मरम्मत और संचार सेवाओं की पूर्ण बहाली में अभी समय लगेगा. फिर भी, सेना और प्रशासन की संयुक्त कोशिशें उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं.  

(इनपुट: अंकित शर्मा/शिवानी शर्मा)


 

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