Vande Mataram 150 Years Celebration: वंदे मातरम के 150 साल पूरे, आजादी की लड़ाई में जगाई देशभक्ति की अलख, यहां जानिए राष्ट्रीय गीत के बारे में सबकुछ

Vande Mataram: राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में जश्न का माहौल है. इस गीत की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में की थी. यह गीत आजादी की लड़ाई में प्रेरणा का स्रोत बना और आज भी देशभक्ति की भावना को जीवंत रखता है.

Vande Mataram 150 Years Celebration
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST
  • बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में लिखा था वंदे मातरम गीत
  • उपन्यास आनंदमठ में वंदे मातरम गीत शामिल

भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर देशभर में उत्सव का माहौल है. यह गीत, जिसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में लिखा था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बन गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में इस ऐतिहासिक अवसर पर सालभर चलने वाले उत्सव का शुभारंभ किया. इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित भव्य कार्यक्रम में वंदे मातरम का सामूहिक गायन हुआ और एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया.

वंदे मातरम: स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा
वंदे मातरम गीत की उत्पत्ति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई है. 1873 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के साथ हुई एक घटना ने उन्हें इस गीत की रचना के लिए प्रेरित किया. 1882 में उनके उपन्यास 'आनंदमठ' में इस गीत को शामिल किया गया. यह गीत ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों की आवाज बन गया. 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान यह गीत बंगाल के नवजागरण की पहचान बना.

देशभर में मनाया गया उत्सव
देश के विभिन्न हिस्सों में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया. जयपुर, रांची, हरदोई और छत्रपति संभाजी नगर में सामूहिक गायन और देशभक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए गए. पुरी के समुद्र तट पर सैंड आर्टिस्ट मानस कुमार साहू ने रेत पर भारत का नक्शा और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की तस्वीर बनाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की.

बॉलीवुड में वंदे मातरम की गूंज
हिंदी सिनेमा ने भी वंदे मातरम को अपने अंदाज में प्रस्तुत किया. लता मंगेशकर और एआर रहमान जैसे कलाकारों ने इस गीत को नई धुनों में पेश किया. बॉलीवुड की कई फिल्मों में वंदे मातरम को देशभक्ति के प्रतीक के रूप में शामिल किया गया. दक्षिण भारतीय सिनेमा ने भी इस गीत को अपनाया और 1985 में तेलुगु फिल्म वंदे मातरम रिलीज हुई.

सांप्रदायिक विवाद और समाधान
वंदे मातरम को लेकर विवाद भी हुआ. 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं की एक समिति बनाई, जिसने निर्णय लिया कि गीत के केवल पहले दो छंद ही गाए जाएंगे. यह कदम सभी धर्मों को एकजुट रखने के उद्देश्य से लिया गया.

नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर इसका उत्सव मनाने का उद्देश्य नई पीढ़ी तक आजादी की आवाज और इसके महत्व को पहुंचाना है. यह गीत आज भी देशभक्ति की भावना को जीवंत बनाए रखता है.

 

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