लंदन कोर्ट की प्रत्यर्पण की मंजूरी के बाद क्या है नीरव मोदी के पास विकल्प, जानिए क्या है पूरा मामला

लंदन हाईकोर्ट ने नीरव मोदी के भारत आने का रास्ता साफ कर दिया है. कोर्ट ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है. हालांकि नीरव मोदी लगातार इससे बचने के लिए बहाने बना रहा है.

नीरव मोदी
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST
  • भारत न आने के लिए बहानेबाजी कर रहा है नीरव
  • वेस्टमिंस्टर कोर्ट दे चुका है प्रत्यर्पण की मंजूरी

भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी के भारत आने का रास्ता अब साफ होता नजर आ रहा है. उसे वापस भारत लाने के लिए भारतीय एजेंसियों ने सरकारी और कानूनी स्तर पर अर्जी दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि उसने भारत के बैंकिंग सिस्टम से फ्रॉड किया है, इसलिए उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत भारत लाया जाए.

लंदन में आराम की जिंदगी गुजार रहे नीरव मोदी ने अपने बचाव में कई तर्क भी दिए हैं. नीरव ने तो ये तक कह दिया है कि वो भारतीय कानून का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, बशर्ते उन्हें भारतीय एजेंसियों के हवाले न किया जाए. जब निचली अदालत ने उसे भारत को सौंपने का फैसला किया तो उसने हाईकोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने भी अब पिटीशन खारिज कर दिया है.

भारत न आने के लिए बहानेबाजी कर रहा है नीरव
बता दें कि नीरव ने अपने पिटीशन में कहा था कि भारत की जेलों की हालत बेहद खराब है, और वहां पर उसे जान का खतरा भी हो सकता है. जिसके जवाब में भारतीय एजेंसियों ने लंदन की अदालत को विस्तार से जानकारी दी और बताया कि नीरव सिर्फ बचने का रास्ता खोज रहा है. अब अदालत ने भी इसी आधार पर उसे भारत को सौंपने का फैसला किया है. अदालत ने कहा- नीरव को भारत के हवाले करने का फैसला न तो नाइंसाफी है और न ही इसे किसी दबाव के तौर पर लिया जाना चाहिए.

नीरव मोदी के पास क्या है विकल्प?
हाईकोर्ट में अपील खारिज होने के बाद अब नीरव मोदी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है. ये याचिका उसे हाईकोर्ट का फैसला आने के 14 दिनों के अंदर करनी होगी. हालांकि इसमें एक प्रॉब्लम ये भी है कि सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील तभी की जा सकती है जब हाईकोर्ट यह कह दे कि मौजूदा केस आम लोगों के लिए अहम है.

अब अगर सुप्रीम कोर्ट से भी नीरव मोदी को राहत नहीं मिलती तो वो यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) के रूल 39 की मदद ले सकता है. इन नियम के तहत कोर्ट कुछ अंतरिम उपाय लागू करता है। यह नियम तभी लागू होता है जब मामले में बहुत जल्दी बहुत बड़ी क्षति होने की आशंका हो. यानी कि अगर अपील करने वाले व्यक्ति की जिंदगी को खतरा हो या अमानवीय बर्ताव किए जाने की आशंका हो तो ही यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स प्रत्यर्पण को रोक सकता है.

वेस्टमिंस्टर कोर्ट दे चुका है प्रत्यर्पण की मंजूरी
इससे पहले मई 2020 में लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट में नीरव के प्रत्यर्पण पर सुनवाई हुई थी. करीब 9 महीने की रूलिंग के बाद फरवरी 2021 में वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण करने को मंजूरी दे दी थी. कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि नीरव पर जो भी आरोप हैं, वो उसे उसकी सफाई भारत की अदालत में देनी चाहिए.

 

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