दुनियाभर की पुलिस को शराब पीने वालों और शराब पीकर सार्वजनिक स्थानों पर दूसरों के लिए परेशानी खड़ी करने वाले लोगों को पकड़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर देशों की पुलिस ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट के जरिए ऐसे लोगों की पहचान करती है, लेकिन बावजूद इसके कुछ लोग पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो जाते हैं. इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए बाउंसरों को अब पुलिस 'स्मार्ट वाटर' देने की प्लानिंग कर रही है ताकि उन्हें नशे में धुत्त लोगों को गिरफ्तार करने में मदद मिल सके.
क्या है 'स्मार्ट वाटर'
स्मार्ट वाटर एक ट्रेस करने योग्य तरल और फोरेंसिक प्रणाली (टैगगेंट) है जो शराबियों की पहचान करने में पूरी तरह से सक्षम है. स्मार्ट वाटर में एक कोड युक्त लिक्विड होता है, जिसकी उपस्थिति पराबैंगनी किरणों के जरिए देखी जा सकती है. स्मार्ट वाटर में इस्तेमाल होने वाला लिक्विड जब लोगों पर स्प्रे किया जाता है तब वह पराबैंगनी किरणों के जरिए शराब पीकर उपद्रव मचाने वालों की पहचान कर लेता है. यह साधारण स्प्रे की तरह ही दिखता है लेकिन इसमें मौजूद लिक्विड बाउंसरों का काम काफी हद तक आसान कर देगा. इसे किसी भी कीमती सामान पर स्प्रे किया जा सकता है. ताकि अगर सामान चोरी भी हो जाए तो टेस्ट के बाद उसके असली मालिक का पता लगाया जा सके. यूके के कई पब और बार में इसे प्रयोग में लाया जा रहा है.
क्यों पड़ी इसकी जरूरत
रिपोर्ट क मुताबिक कोविड लॉकडाउन खत्म होने के बाद पब और बार के कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाओं में कई गुना वृद्धि हुई है. यह स्मार्ट वाटर ड्रिंक लेवल और असामाजिक व्यवहार को कंट्रोट करने में मदद करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य नशे में धुत उपद्रवियों का आसानी से पता लगाना है.
भारत में क्या है नियम
ब्रेथ एनलाइजर टेस्ट में अल्कोहल की मात्रा 30 एमजी से ज्यादा आती है तो पुलिस नशा करके ड्राइव करने वाले चालक का लाइसेंस जब्त कर लेती है. पुलिस की जांच में एमजी में अल्कोहल तलाशा जाता है. ब्लड में एल्कोहल की लीगल लिमिट प्रति 100 ML ब्लड में 0.03 फीसदी या 30 MG है.