Women Equality Day: 26 अगस्त को क्यों मनाते हैं महिला समानता दिवस, क्या है इसका इतिहास, जानें भारतीय कानून में महिलाओं को क्या मिले हैं अधिकार 

Womens Equality Day 2023: महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने और समाज में उनकी स्थिति मजबूत बनाने के उद्देश्य से हर साल महिला समानता दिवस मनाया जाता है. इस दिन भारत समेत पूरी दुनिया में महिलाओं के अधिकारों की बात की जाती है. 

Women's Equality Day
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST
  • अमेरिका में महिला अधिकारों को लेकर 1853 में शुरू हुआ था आंदोलन 
  • यूएस में 26 अगस्त 1920 के महिलाओं को वोटिंग का मिला था अधिकार

एक महिला अपने जीवन में न जाने कितने रिश्तों में रंग भरती है. कभी वो मां बनकर ममता लुटाती है तो कभी पत्नी, बेटी और बहन बनकर रिश्ते निभाती है. एक महिला सिर्फ बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि उसका पालन-पोषण भी करती है. बच्चे को अच्छे संस्कार अपनी मां से ही मिलते हैं. इसके बावजूद आज भी भारत समेत कई ऐसे देश हैं, जहां महिलाओं को बराबरी के हक के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है. महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने और समाज में उनकी स्थिति मजबूत बनाने के उद्देश्य से हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है. आइए इस दिवस का इतिहास और भारतीय कानून में मिले महिलाओं के अधिकार के बारे में जानते हैं.

सबसे पहले कहां मनाया गया था महिला समानता दिवस 
महिला समानता दिवस पहली बार अमेरिका में मनाया गया. अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था. इसके अलावा विवाहित महिलाओं ने संपत्ति के अधिकार की मांग भी शुरू कर दी थी. अमेरिका में 1853 से महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई शुरू हुई थी. यहां महिलाओं ने शादी के बाद संपत्ति पर अधिकार मांगने की शुरुआत की थी. उस वक्त अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में महिलाओं को बहुत कम अधिकार दिए जाते थे. पुरुष महिलाओं को अपना गुलाम समझते थे. 

महिलाओं को मिला वोट देने का अधिकार
1890 में अमेरिका में नेशनल अमेरिकन वुमन सफरेज एसोसिएशन का गठन किया गया. इस वक्त तक अमेरिका में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार नहीं था. इस संगठन के लोगों ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार देने की बात की. महिलाओं के अधिकारों की मांग को लेकर चले आंदोलन का अंत 26 अगस्त 1920 के दिन वोटिंग का अधिकार मिलने के साथ हुआ. इसके बाद 1971 में अमेरिकी संसद ने हर साल 26 अगस्त को वुमन इक्विलिटी डे के तौर पर मनाने की घोषणा की. अमेरिका में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई. इसके बाद पूरी दुनिया में महिला समानता दिवस मनाया जाने लगा. 

क्या खास होता है इस दिन
इस दिन अमेरिका समेत पूरी दुनिया में महिलाओं के अधिकारों की बात की जाती है. जगह-जगह कॉन्फ्रेंस और सेमिनार का आयोजन किया जाता है. महिला संगठन लोगों में महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कैंपेन चलाते हैं.

क्या है थीम
इस साल महिला समानता दिवस 2023 की थीम 'Embrace Quality' है यानी समानता को अपनाओ। यह थीम 2021-26 रणनीतिक योजना का हिस्सा बनी हुई है. यह विषय लैंगिक समानता हासिल करने की जरूरत पर प्रकाश डालता है, जो न केवल आर्थिक विकास के लिए बल्कि मौलिक मानवाधिकारों के लिए भी आवश्यक है.

महिलाओं को इन अधिकार के बारे में पता होना चाहिए
1. समान वेतन का अधिकार: भारतीय कानून में महिलाओं को अलग-अलग अधिकार मिले हैं. इसमें से एक है समान वेतन का अधिकार.मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते. किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है.

2. गरिमा और शालीनता का अधिकार: महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है. मेडिकल परीक्षण के दौरान महिला की मौजूदगी जरूरी है.

3. दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा: यदि किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है.

4. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार: भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है. पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते.

5. पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार: किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है. यदि कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है.

6. मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार: लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक रेप की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है.

7. रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार: किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. किसी से यदि उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए.

8. वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार: कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है. इसमें वह ई-मेल का सहारा ले सकती है. महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिए अपनी शिकायत भेज सकती है.

9. अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल: किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते. ऐसा करना दंडनीय अपराध है.

10. महिला का पीछा नहीं कर सकते: आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछा करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ई-मेल के जरिए मॉनिटर करने की कोशिश करे.

11. जीरो एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार: किसी महिला के खिलाफ यदि अपराध होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि केस उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है. जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां हुआ हो.

12. मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1861: यह अधिनियम महिलाओं के रोजगार और कानून द्वारा अनिवार्य मातृत्व लाभ को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है. इस कानून के तहत हर कामकाजी महिला को छह महीने के लिए मैटरनिटी लीव मिलती है. इस दौरान महिलाएं पूरी सैलरी पाने की हकदार होती हैं. यह कानून हर सरकारी और गैर सरकारी कंपनी पर लागू होता है. इसमें कहा गया है कि एक महिला कर्मचारी जिसने एक कंपनी में प्रेग्नेंसी से पहले 12 महीनों के दौरान कम से कम 80 दिनों तक काम किया है, वह मैटरनिटी बेनेफिट पाने की हकदार है. जिसमें मैटरनिटी लीव, नर्सिंग ब्रेक, चिकित्सा भत्ता आदि शामिल हैं.
 

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