भारत में भांग और गांजा को लेकर लोगों के मन में हमेशा एक सवाल रहता है. अगर भांग कानूनी है तो फिर भांग का पौधा उगाना गैरकानूनी क्यों है? इस सवाल का जवाब हाल ही में केरल हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में दिया है. कोर्ट ने साफ कर दिया कि चाहे पौधे में फूल आए हों या नहीं, कोई भी कैनबिस प्लांट उगाना NDPS कानून के तहत अपराध है.
4 नवंबर को जस्टिस सी. एस. डायस ने साफ कहा कि NDPS एक्ट फूलों वाली गांजा की टॉप्स और कैनबिस प्लांट में फर्क जरूर बताता है, लेकिन किसी भी किस्म का कैनबिस पौधा उगाना कानून के तहत साफ-साफ प्रतिबंधित है. इसलिए पौधा फूल दे या न दे उगाना ही अपराध है.
क्या हुआ मामला?
केरल में एक युवक को एक्साइज टीम ने 5 कैनबिस के पौधों के साथ पकड़ा. पौधे उसकी किराए की छत पर गमलों में लगे थे. युवक ने कोर्ट में यह दलील दी कि उसके पौधे अभी छोटे थे और उनमें फूल यानी गांजा बनने वाला हिस्सा विकसित नहीं हुआ था. उसका तर्क था कि कानून के अनुसार केवल फूल वाले हिस्से को ही 'गांजा' कहा जाता है. तो जब तक पौधे में फूल नहीं आए, तब तक वह अवैध कैसे?
लेकिन जस्टिस सी.एस. डायस ने उसकी यह दलील खारिज कर दी. कोर्ट ने साफ कहा, NDPS Act केवल गांजा को नहीं, बल्कि पूरे कैनबिस पौधे की खेती पर रोक लगाता है. यानी चाहे पौधा छोटा हो, बड़ा हो या बिना फूलों वाला उगाना अपराध है.
आखिर ये भांग है क्या?
गांजा और भांग दरअसल एक ही पौधे के अलग-अलग रूप हैं. इस पौधे में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल (THC) नाम का रसायन पाया जाता है, जो इसे लेने पर तेज खुशी और हल्का नशा महसूस कराता है. लगातार सेवन करने से इसकी लत भी लग सकती है.
कैनबिस पौधे में तना, पत्तियां, बीज और फल जैसे हिस्से होते हैं. आमतौर पर लोग भांग और गांजे को एक ही मान लेते हैं, लेकिन दोनों अलग हैं. एक ही पौधे की नर प्रजाति से मिलने वाले हिस्सों को भांग कहा जाता है, जबकि मादा पौधे से मिलने वाले फ्लावरिंग टॉप को गांजा. गांजे में THC की मात्रा भांग के मुकाबले काफी ज्यादा होती है, इसलिए इसका नशा भी ज्यादा होता है.
कानून की नजर में कैनबिस और गांजा क्या है?
भारत में 1985 में नारकोटिक ड्रग और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट पास किया गया. इस एक्ट में कैनबिस को तीन हिस्सों में बांटा गया है.
Charas (चरस)-पौधे का रेजिन
Ganja (गांजा)-पौधे के फ्लावरिंग या फल वाला हिस्सा
Bhang (भांग)- केवल (पत्ते)
यही पर सबसे बड़ा कानूनी अंतर आता है. गांजा और चरस ड्रग हैं यानी पूरी तरह से अवैध. और NDPS Act पत्तों को ड्रग नहीं मानता. इसलिए होली पर भांग खाना या भांग की दुकान से पत्ते लेना अपराध नहीं है.
अगर आप पौधा उगाते पाए गए तो क्या?
कानून के उल्लंघन पर सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है. 1 साल से लेकर 20 साल तक की सजा हो सकती है और 10 हजार से लेकर 2 लाख तक का जुर्माना भी हो सकता है. वहीं भारत में भांग का इस्तेमाल खुले तौर पर किया जा सकता है. हालांकि, कई राज्यों जैसे UP, Rajasthan जैसे राज्यों में भांग लाइसेंस के साथ बिकती है. यानी भांग लीगल है, लेकिन रेगुलेटेड है. असम जैसे राज्यों ने भांग को पूरी तरह बैन किया है.
NDPS Act के सेक्शन 14 के तहत सरकार औद्योगिक उपयोग या रिसर्च के लिए कैनबिस की खेती की अनुमति दे सकती है. इसी के तहत उत्तराखंड, यूपी, हिमाचल और एमपी में हैम्प की खेती लाइसेंस के साथ होती है. CSIR जैसी संस्थाओं को मेडिकल रिसर्च के लिए भी कैनबिस उगाने की अनुमति दी गई है.
देश में मेडिकल कैनबिस पर भी काम जारी है. 2020 में बेंगलुरु में भारत का पहला मेडिकल कैनबिस क्लिनिक खुला, जहां डॉक्टर कुछ खास बीमारियों में कैनबिस आधारित दवाएं लिखते हैं. माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, जर्मनी जैसे दुनिया के करीब 10 देशों में भांग का इस्तेमाल वैध है.