दिल्ली में पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के हिसाब से यह आदेश पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत लागू किया गया है. आदेश में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के सभी कार्यालय और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के सभी निजी कार्यालयों में केवल 50% कर्मचारी ही ऑफिस आ कर काम करेंगे, जबकि बाकी स्टाफ घर से काम ही करेंगे. आदेश का उल्लंघन करने पर अधिनियम के तहत ऑफिसों पर कार्रवाई की जाएगी.
सरकारी विभागों में प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्ष ही सिर्फ ऑफिस आएंगे, लेकिन बाकी स्टाफ में से केवल 50% ही हर दिन ऑफिस में मौजूद रहेंगे. बाकी के कर्मचारी सिर्फ तब ही ऑफिस आएंगे, जब कोई जरूरी या आपातकाल स्थिति में सेवा देनी होगी.
प्राइवेट ऑफिसों में लागू होगा नियम
प्राइवेट कंपनियों को भी यही नियम फ्लो करने को कहा गया है. आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के सभी प्राइवेट ऑफिस में 50 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी दफ्तर में उपस्थित नहीं होंगे. बाकी वर्क-फ्रॉम-होम वाले कर्मचारियों को घर से काम करना होगा. निजी कार्यालयों को फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स लागू करने को कहा गया है जिससे स्टाफ सख्ती से वर्क-फ्रॉम-होम का पालन करें. इससे कार्यालय में आने जाने वाले वाहनों को कम किया जाएगा. इससे गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है.
जानकारी के मुताबिक अब जब भी ग्रैप का स्टेज-3 लागू होगा, वर्क फ्रॉम होम का नियम अपने आप लागू हो जाएगा, जिसके लिए किसी नए आदेश की जरूरत नहीं होगी पड़ेगी. यह फैसला 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद दिया गया. यह नियम ग्रैप में किए गए बदलाव के हिसाब से लागू किया गया है.
बदलाव के अनुरूप, सरकार ने शनिवार को ही प्राइवेट ऑफिस को केवल 50% स्टाफ के साथ काम करने की सलाह दी थी. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रशासन सभी प्रदूषण नियंत्रण उपायों को गंभीरता से लेगी और जल्द ही लागू करने रही है. संशोधित ग्रैप के अनुसार, शहर में निरंतर बिजली की पूर्ति सुनिश्चित करना ताकि जनरेटर सेटों का उपयोग कम हो, और CNG के साथ इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग को बढ़ाना.
आवश्यक सेवाओं को छूट
इनमें शामिल हैं- सरकारी और निजी अस्पताल, फायर सर्विस, जेल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बिजली, पानी, सफाई, नगरपालिका सेवाएं, आपदा प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण में शामिल एजेंसियों को 50% की सीमा से छूट दी गई है.
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